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उत्‍तराखंड में भू-कानून को मिली मंजूरी, कैबिनेट बैठक में लिया गया फैसला



देहरादून:

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने भू कानून (Uttarakhand Land Law) को मंजूरी दे दी है. इस कानून की मांग राज्य में लंबे समय से उठ रही थी. सरकार ने इस कानून को बजट सत्र में पेश करने का फैसला लिया है, जिससे इसे लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही कहा था कि एक सख्त भू कानून जल्द लाया जाएगा, जिससे राज्य में जमीनों की अंधाधुंध खरीद-फरोख्त पर रोक लग सके और प्रदेश का मूल स्वरूप बना रहे.  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया कि अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा.  250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की जमीन जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी.

उत्तराखंड भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की मांगें

उत्तराखंड भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने भू कानून से जुड़ी मांगें सरकार के सामने रखी हैं. जिनमें हिमाचल प्रदेश की तरह भू सुधार अधिनियम धारा-118 लागू किए जाने समेत अन्य मांगें शामिल हैं.

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नया भू कानून क्या है?

उत्तराखंड कैबिनेट की तरफ से मंजूरी दिए गए भू कानून के तहत राज्य में बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर कुछ सख्त प्रावधान किए गए हैं.  हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी कुछ प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं. इस कानून से बाहरी लेगों के अनियंत्रित जमीन खरीद पर रोक लगेगी और स्थानीय लोगों के हितों की सुरक्षा की जा सकेगी.

मौजूदा भू कानून क्या है?

उत्तराखंड के मौजूदा भू कानून के मुताबिक, नगर निकाय क्षेत्र के बाहर कोई भी शख्स ढाई सौ वर्ग मीटर तक जमीन बिना अनुमति के खरीद सकता है. इसके अलावा, साल 2017 में भूमि क्रय संबंधी नियमों में बदलाव किया गया था. इसके तहत   बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा 12.5 एकड़ को खत्म कर उसकी परमिशन जिलाधिकारी स्तर से देने का प्रावधान किया गया था.

उत्तराखंड विधानसभा में पेश होगा भू कानून

भू कानून के इस प्रस्ताव को बजट सत्र के दौरान उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया जाएगा. इसके पारित होते ही राज्य में  भूमि खरीद से जुड़े नए नियम लागू हो जाएंगे. उत्तराखंड के लोग लंबे समय से इस कानून की मांग कर रहे थे. कैबिनेट से भू कानून को मंजूरी मिलना स्थानीय लोगों के लिए बड़ी जीत मानी जा रही है. भू कानून की मांग को लेकर कई सामाजिक संगठन आंदोलन कर रहे थे. 





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