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कहानी बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले की जिसने CM ममता बनर्जी को झुका दिया!



<p>पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने राज्य में शिक्षकों की भर्ती करने जा रही हैं. उन शिक्षकों की भर्ती जो वो पहले भी कर चुकी थीं, लेकिन पहले कलकत्ता हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने उन भर्तियों को अवैध ठहरा दिया था, जिसे ममता बनर्जी मानने को तैयार नहीं थीं. जब लगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न मानने का राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ सकता है तो ममता बनर्जी तैयार हो गईं, लेकिन ये नौबत आई ही क्यों. आखिर क्या हुआ था शिक्षकों की पुरानी भर्ती में, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अवैध करार दे दिया. आखिर क्यों ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट तक का फैसला मानने को तैयार नहीं थीं और आखिर अब ऐसा क्या हुआ है कि ममता फिर से उस भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी करने को तैयार हैं?<br /><br />साल था 2016. पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टेट लेवल सेलेक्शन टेस्ट के जरिए सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को लिए 24,640 पदों पर भर्ती निकाली. इसके लिए करीब 23 लाख लोगों ने परीक्षा दी थी. परीक्षा के लिए ओएमआर शीट भरी गई थी. 27 नवंबर, 2017 को इस परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया. इसी रिजल्ट ने उस पूरी भर्ती प्रक्रिया पर ही ऐसे गंभीर सवाल खड़े किए, जिसमें ममता बनर्जी के मंत्री को जेल भी जाना पड़ा और आखिरकार पूरी भर्ती भी रद्द हो गई.<br /><br />हुआ ये कि परीक्षा का जब रिजल्ट आया और मेरिट लिस्ट जारी हुई तो पता चला कि जिनके नंबर कम हैं, उनकी रैंक ज्यादा है. कुछ ऐसे भी मामले सामने आए, जिनमें टीईटी पास न करने वाले भी शिक्षक बन गए. नतीजा ये हुआ कि जिन लोगों ने परीक्षा दी थी और इस हेर-फेर की वजह से वो शिक्षक नहीं बन पाए, उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया.<br /><br />जब आंदोलन से बात नहीं बनी तो कुछ लोग कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंच गए और वहां याचिकाएं दाखिल कर दीं. कलकत्ता हाई कोर्ट को भी पहली नजर में इस भर्ती प्रक्रिया में घोटाले के संकेत मिले, नतीजा ये हुआ कि हाई कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया की सीबीआई जांच का आदेश कर दिया. कलकत्ता हाई कोर्ट में इस भर्ती प्रक्रिया में 5 लाख रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक की रिश्वत की भी बात कही गई थी. ऐसे में पैसे का मामला आया तो प्रवर्तन निदेशालय यानी कि ईडी की भी एंट्री हो गई. फिर दोनों जांच एजेंसियों ने मिलकर 22 जुलाई, 2022 को पहली बड़ी गिरफ्तारी की.<br /><br />ये गिरफ्तारी थी ममता बनर्जी की सरकार में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की, जिनके वित्तीय लेन-देन के सबूत ईडी के हाथ लग गए. फिर तो गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हुआ. पूछताछ होती रही, केस चलता रहा. आखिरकार 22 अप्रैल ,2024 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि बंगाल की ये शिक्षक भर्ती व्यवस्थित धोखाधड़ी है, लिहाजा इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही रद्द किया जाता है. इस आदेश में कोर्ट ने ये भी कहा कि भर्ती सिर्फ 24,640 पदों पर ही होनी थी, जिसका नोटिफिकेशन निकला था, लेकिन नियुक्ति पत्र जारी करते समय संख्या बढ़ाकर 25,753 कर दी गई.</p>
<p>अदालत की तरफ से ये भी आदेश दिया गया कि जिन शिक्षकों को सरकार की ओर से वेतन मिला है, उन्हें पूरा वेतन 12 फीसदी ब्याज के साथ सरकार को लौटाना होगा और सरकार इस भर्ती को नए सिरे से करवाएगी. तब कोर्ट ने ये भी कहा था कि सीबीआई इस घोटाले की जांच करती ही रहेगी. ममता बनर्जी की सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआत में ही हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो. साथ ही सीबीआई जांच जारी रखने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा. 7 मई, 2024 को आए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को विस्तार से सुनना शुरू किया.<br /><br />इसमें हर पक्ष था. सरकार का अपना पक्ष था कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई. शिक्षकों का अपना पक्ष था कि उनकी क्या गलती है. कुछ ऐसे भी लोग थे, जो वाकई पारदर्शिता के साथ नौकरी में गए थे. कोर्ट सबकी बात सुन रहा था. इस दौरान 31 जनवरी 2025 को ईडी ने अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 20 आरोपी थे. उनकी 163 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी ने जब्त की थी. 10 फरवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया.<br /><br />फिर 3 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आया, जिसनें 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया. तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने आदेश दिया कि राज्य सरकार को 3 महीने में नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी होगी, लेकिन ममता बनर्जी अड़ गईं. उन्होंने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मानेंगी. इस फैसले के चार दिन बाद 7 अप्रैल को शिक्षकों से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने कहा-<br /><br />’हम कोर्ट के आदेश से बंधे हुए हैं. यह फैसला उनके साथ अन्याय है, जो काबिल शिक्षक थे. आप लोग यह मत समझिए कि हमने फैसले को स्वीकार कर लिया है. हम पत्थरदिल नहीं हैं. मुझे ऐसा कहने के लिए जेल भी डाल सकते हैं, लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता है.'</p>
<p>ममता बनर्जी के इस आश्वासन के बावजूद पूरे प्रदेश में प्रदर्शन हुए. शिक्षकों ने प्रदर्शन किया कि उनकी बहाली हो. बीजेपी ने प्रदर्शन किया कि ममता बनर्जी को बर्खास्त किया जाए. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी कि जिन शिक्षकों का इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं, उनकी बहाली हो, लेकिन हुआ कुछ नहीं, उल्टे शिक्षकों का प्रदर्शन बढ़ता गया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक नए सिरे से भर्ती करवाती हैं, तो वो लोग शामिल नहीं होंगे. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने उन शिक्षकों को नई भर्ती होने तक नौकरी में बने रहने की छूट दे दी, जिनका इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं था.</p>
<p>अब ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक भर्ती प्रक्रिया के लिए नोटिफिकेशन जारी करेगी. इसके साथ ही ममता बनर्जी ने नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों को राहत देने की कोशिश की है और कहा है कि नई भर्ती प्रक्रिया में उन लोगों को छूट मिलेगी, जो पिछली भर्ती में शिक्षक बने थे और जिनकी नौकरी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चली गई थी.</p>
<p>साथ ही साथ ममता बनर्जी ने ये भी कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करेंगी ताकि बर्खास्त शिक्षकों को नौकरी मिल पाए. अब इंतजार है ममता बनर्जी के नए नोटिफिकेशन का, लेकिन इतना तो तय है कि जब बंगाल में कुछ ही महीने में विधानसभा के चुनाव होने हैं, तो ये घोटाला उनके लिए गले की फांस तो बनेगा ही बनेगा.</p>



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