जंग कोई जीती नहीं फिर कौनसे तमगे लगाए घूमते हैं पाकिस्तानी सेना प्रमुख, ये है हकीकत

सरहद से ज्यादा दूसरे कामों में है दिलचस्पी
इनमें से कोई भी सही अर्थों में जंग नहीं है. वैसे भी पाकिस्तान की सेना की दिलचस्पी सरहद से ज़्यादा आतंकवादी तैयार करने, उनको पालने-पोसने और आतंकवाद फैलाने में उनकी मदद लेने में ज्यादा रहती है.
पाकिस्तान बनने के बाद पहले ही दिन से पाकिस्तान की सेना का सत्ता में काफी दखल रहा है. दो बार सेना प्रमुखों जनरल जिया उल हक और जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने सत्ता पूरी तरह से अपने हाथ में ले ली थी. जनरल बाजवा के वक्त भी लगा था कि तख्ता पलट होने वाला है और आसिम मुनीर के भी मंसूबे कुछ ऐसे ही लग रहे थे. शायद इसीलिए पाकिस्तान में
फौज को लेकर कहा जाता है कि ‘लेक्शन कोई हारया नई और जंग कोई जित्ती नी.’