जज कैशकांड: सुप्रीम कोर्ट के सूचना अधिकारी ने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने से किया मना, एक वकील ने लगाया था आरटीआई आवेदन
<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट के सूचना अधिकारी ने जस्टिस यशवंत वर्मा के बारे में हुई जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से मना कर दिया है. वकील अमृतपाल सिंह खालसा ने आरटीआई आवेदन दाखिल किया था. जवाब में अधिकारी ने सूचना अधिकार कानून की धाराओं और सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है. कहा गया है कि यह रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है मामला?</strong><br />दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर 14 मार्च को आग लगी थी. आग बुझने के बाद पुलिस और दमकल कर्मियों को वहां बड़ी मात्रा में जला हुआ कैश दिखा था. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 22 मार्च को मामले की जांच के 3 जजों की जांच कमेटी का गठन बनाई थी. कमेटी ने 4 मई को अपनी रिपोर्ट दी. 8 मई को चीफ जस्टिस ने उसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आरटीआई आवेदन में क्या मांगा गया?</strong><br />आरटीआई आवेदनकर्ता ने जांच कमेटी की रिपोर्ट की जानकारी मांगी थी. उन्होंने चीफ जस्टिस की उस चिट्ठी की भी सूचना मांगी थी जो राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई. यह आवेदन 9 मई को भेजा गया था. अब सूचना अधिकारी ने यह कहा है कि मांगी गई जानकारी नियमों के तहत नहीं दी जा सकती.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब में क्या कहा गया है?</strong><br />सूचना अधिकारी ने आरटीआई एक्ट की धाराओं 8(1)(e) और 11(1) का हवाला दिया है. साथ ही, ‘सुप्रीम कोर्ट बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल’ मामले के फैसले का भी उल्लेख जवाब में किया गया है. 13 नवंबर 2019 को दिए इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय ‘पब्लिक ऑफिस’ है. इसलिए, वह सूचना अधिकार कानून के दायरे में आता है.</p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन उस फैसले में यह साफ किया गया था कि आरटीआई एक्ट की धारा 8 के तहत किसी की गोपनीय जानकारी को तभी सार्वजनिक किया जाएगा जब ऐसा करना सार्वजनिक हित में ज़रूरी हो. साथ ही, अगर सूचना किसी तीसरे व्यक्ति से जुड़ी हो, तो धारा 11 के तहत सूचना अधिकारी को पहले उस व्यक्ति की इजाजत लेनी होगी. सुप्रीम कोर्ट के एक उच्च अधिकारी ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि जो रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई है, उस पर उन्हें निर्णय लेना है. चीफ जस्टिस कार्यालय उसे सार्वजनिक नहीं कर सकता.</p>
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