तमिलनाडु सरकार आरटीई के तहत निजी स्कूलों को भुगतान करे, केंद्र एसएसएस से अलग करे, मद्रास HC
<p style="text-align: justify;">मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से कहा है कि वह बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTI) के तहत निजी वित्तविहीन स्कूलों को प्रतिपूर्ति करे. अदालत ने केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि वह समग्र शिक्षा योजना से आरटीई घटक को अलग करने पर विचार करे और तदनुसार धनराशि वितरित करे.</p>
<p style="text-align: justify;">जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने सोमवार को वी ईश्वरन द्वारा दायर एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया, जिसमें अधिकारियों को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.</p>
<p style="text-align: justify;">सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता जे. रवींद्रन ने कहा कि प्रतिपूर्ति की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से राज्य को उसके वैध बकाये का भुगतान नहीं किया गया है और परिणामस्वरूप वह समय पर स्कूल प्रबंधन को प्रतिपूर्ति करने में सक्षम नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि जारी न किए जाने के कारण, अधिनियम की धारा 12(1)(सी) के तहत स्कूलों को वर्ष 2022-23 के लिए आरटीई प्रतिपूर्ति के लिए 188.99 करोड़ रुपये का व्यय पूरी तरह से तमिलनाडु सरकार द्वारा वहन किया गया.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए परियोजना अनुमोदन बोर्ड द्वारा अनुमोदित समग्र शिक्षा योजना के लिए 60 प्रतिशत हिस्सेदारी के तहत 2151.59 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया.</p>
<p style="text-align: justify;">अतिरिक्त महाधिवक्ता ए.आर.एल. सुंदरसेन ने कहा कि राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 लागू करने के लिए सहमत नहीं हुई है, इसलिए धन के वितरण को लेकर कुछ मुद्दे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">अपने आदेश में पीठ ने कहा कि विभिन्न उदाहरणों के आलोक में वैधानिक प्रावधानों को ध्यान से पढ़ने से यह निष्कर्ष निकलता है कि राज्य सरकार आरटीई अधिनियम के तहत समय पर प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के लिए बाध्य है, ताकि इस कोटे के तहत दाखिला लेने वाले बच्चे शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में ही पड़ोस के संबंधित स्कूलों में दाखिला ले सकें.</p>
<p style="text-align: justify;">पीठ ने कहा, ‘राज्य सरकार को कानून में निर्धारित समय-सीमा का पालन करते हुए प्रतिपूर्ति करने का निर्देश दिया जाता है. प्रतिपूर्ति की मात्रा मनमानी नहीं हो सकती. यह अधिनियम की धारा 12(2) के अनुसार होनी चाहिए. यह तमिलनाडु में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियम-2011 के नियम नौ के अनुसार भी होनी चाहिए. निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को प्रतिपूर्ति करना राज्य सरकार का एक अनिवार्य दायित्व है. केंद्र सरकार से धन प्राप्त नहीं होने को इस वैधानिक दायित्व से बचने का कारण नहीं बताया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">राज्य सरकार को उपरोक्त निर्देश जारी करने के बाद पीठ ने केंद्र सरकार से अधिनियम के तहत अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए कहा. पीठ ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार को निर्देश देते हैं कि वह एसएसएस के आरटीई घटक को अलग करने पर विचार करे और तदनुसार धनराशि वितरित करे.'</p>
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