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तहव्वुर राणा की क्राइम फाइल का खुला ‘कनाडा’ वाला पन्ना, खुफिया एजेंसियां भी हैरान



नई दिल्ली:

मुंबई आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा जब से भारत के शिकंजे में है, तब से परत-दर-परत कई राज खुलते जा रहे हैं. अब मालूम हुआ है कि राणा ने कनाडा में रहते हुए भी युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ा और ‘मरकज़-उद-दावत-वल-इरशाद’ (MDI) नामक कट्टरपंथी संगठन के जरिए लोगों को बहकाया. यह संगठन बाद में ‘जमात-उद-दावा’ के नाम से जाना गया, जो लश्कर-ए-तैयबा से भी जुड़ा हुआ है. जांच एजेंसियों ने खुलासा किया कि राणा का सीधा संबंध हिज्ब-उल-मुजाहिदीन की 313 ब्रिगेड से भी था, जिसकी अगुवाई इलियास कश्मीरी कर रहा था.

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भारत में किन हाई-प्रोफाइल इलाकों की कराई रेकी

तहव्वुर राणा ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की मदद से भारत और कनाडा में फंडिंग और भर्ती का नेटवर्क तैयार किया. उसने दिल्ली के नेशनल डिफेंस कॉलेज, मुंबई के चाबड़ हाउस, शिवसेना हेडक्वार्टर और सिद्धिविनायक मंदिर जैसे हाई-प्रोफाइल ठिकानों की रेकी करवाने में मदद की. राणा और डेविड हेडली के बीच बातचीत से पता चला कि उन्होंने तकरीबन 40-50 अहम लोकेशनों की वीडियोग्राफी करवाई थी. राणा ने हेडली को भारत में रसूखदार लोगों से मिलने को कहा ताकि उन्हें अहम जगहों तक पहुंच मिल सके. हेडली की एक भारतीय महिला मित्र से दोस्ती थी, लेकिन उसका आतंकी गतिविधियों से सीधा संबंध नहीं मिला.

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आतंकी हमले के बाद कोडवर्ड में बात कर रहे थे हेडली और राणा

जांच में यह भी सामने आया कि राणा के दुबई में संपर्क थे, जिन्होंने उसकी मुलाकात अब्दुर रहमान जैसे अन्य साजिशकर्ताओं से करवाई. 26/11 हमलों के बाद राणा, हेडली और ISI के अधिकारी ‘MMP’ नाम के कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे, जो भारत और डेनमार्क में संभावित हमलों की योजना से जुड़ा था. राणा ने यह भी कबूल किया कि ‘जकी का सूरा’, जिसे जकी-उर-रहमान लखवी लीड करता था, ISI के सहयोग से 26/11 की योजना बना रहा था. NIA अब ‘मेजर इकबाल’, ‘मेजर समीर’, ‘कोड डी’, ‘अबू अनस’ और अन्य के स्केच तैयार कर रही है. ईमेल अकाउंट्स और डिजिटल डेटा की जांच में ईमेल समेत 13 अन्य आईडी से भी सुराग मिले हैं.





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