News

दिल्ली के बाटला हाउस इलाके के 40 लोगों की याचिका जुलाई में सुनेगा सुप्रीम कोर्ट, क्या तब तक नहीं होगा बुलडोजर एक्शन?



<p style="text-align: justify;">दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में मकानों को गिराने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जुलाई में करेगा सुनवाई. कोर्ट ने फिलहाल रोक का कोई आदेश देने से मना किया है और कहा है कि याचिकाकर्ता अपने पास उपलब्ध कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करें.</p>
<p style="text-align: justify;">40 याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है कि 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उनका पक्ष सुने बिना डिमोलिशन का आदेश दिया. अब डीडीए ने 15 दिन में मकान खाली करने का नोटिस चिपका दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">29 मई को यह मामला चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई की अध्यक्ष वाली बेंच के सामने रखा गया था, जिसने अगले सप्ताह सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दे दिया था. याचिकाकर्ता के वकील ने जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था. हालांकि शुरू में सीजेआई ने कहा कि उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट जाना चाहिए. वकील ने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश से प्रभावित हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">यह मामला बाटला हाउस इलाके के खसरा नंबर 271 और 279 का है. 40 याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है कि उनका पक्ष सुने बिना मकानों को गिराने की प्रक्रिया शुरू की गई है. अब 15 दिन में मकान खाली करने का नोटिस चिपका दिया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;">याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया है कि वह खसरा नंबर 271 और 279 में रहते हैं और उनके निर्माण बहुत पुराने हैं. उनके सारे दस्तावेज भी हैं. उनकी कॉलोनी 2019 की पीएम उदय (प्रधानमंत्री अनऑथोराइज़्ड कॉलोनीज इन दिल्ली आवास अधिकार योजना) के तहत नियमित किए जाने के योग्य है. 2008 में दिल्ली सरकार कॉलोनी को प्रोविजिनल रेग्युलराइजेशन सर्टिफिकेट भी दे चुकी है.</p>
<p style="text-align: justify;">वकील अदील अहमद के जरिए याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया कि 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उनके इलाके में अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया. यह आदेश दिल्ली डेवलपमेंट ऑथोरिटी (DDA) के खिलाफ लंबित एक अवमानना याचिका पर आया है. आदेश से प्रभावित लोगों को कोर्ट में अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला. कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा था कि कार्रवाई से पहले लोगों को कम से कम 15 दिन का नोटिस दिया जाए। डीडीए ने उचित तरीके से नोटिस देने की बजाय 26 मई को उसे मकानों पर चिपका दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;">&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">(निपुण सहगल के इनपुट के साथ)</p>



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *