पर्यटकों के लिए जून में खुलती है बैसरन घाटी! सरकार के दावे में कितना दम? जानें क्या बोले PDA अधिकारी
<p style="text-align: justify;"><strong>Pahalgam Terror Attack : </strong>जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादी हमले के केंद्र सरकार ने गुरुवार (24 अप्रैल) को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. बैठक में केंद्र सरकार की ओर से विपक्षी पार्टियों को बताया गया कि बैसरन घाटी को जून महीने तक नहीं खोला जाना चाहिए था. लेकिन टूर ऑपरेटर ने बैसरन घाटी को पहले ही खोल दिया. जिसकी वजह से वहां सुरक्षा के पर्याप्त इंतेजाम नहीं थे और आतंकियों ने वहां 26 सैलानियों की हत्या कर दी.</p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन एबीपी न्यूज ने जब घोड़ा चलाने वालों और पहलगाम डेवलेपमेंट अथॉरिटी (PDA) के अधिकारियों से बात की तो उनका कहना था कि बैसरन घाटी साल के 12 महीने खुली रहती है और पर्यटकों को वहां जाने के लिए किसी खास परमिशन की भी जरूरत नहीं होती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पोनी एसोशिएशन के अध्यक्ष ने किया खुलासा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एबीपी न्यूज से बात करते हुए पोनी एसोसिएशन 1 के अध्यक्ष अब्दुल्ला ने कहा, “बैसरन घाटी पूरे साल खुली रहती है. जब बर्फ होती है तब भी खुली रहती है, जब बारिश होती है तब भी खुली रहती है. साल के 12 महीने खुली रहती है. पर्यटक भी पूरे साल आते रहते हैं. किसी भी वक्त टूरिस्ट का बैसरन घाटी जाना बंद नहीं होता है. मैं 20 साल से पोनी चला रहा हूं. मेरे दादा, पिता, मेरे बच्चे यही काम करते हैं.” उन्होंने कहा, “सिर्फ पिछले साल अमरनाथ यात्रा के दौरान 2 महीने के लिए बेसरन घाटी बंद की गई थी. अप्रैल के महीने में हर साल बहुत टूरिस्ट आते हैं. जो बेसरन घाटी जाते हैं. बैसरन घाटी में जाने के लिए पर्यटकों से 30 रुपये टिकट के लिए लिए जाते हैं और ये पैसा ठेकेदार को जाता है.”</p>
<p style="text-align: justify;"><strong> खुली रहती है बैसरन घाटी, हमेशा आते हैं पर्यटक- बशीन खान</strong></p>
<p style="text-align: justify;">वहीं, पहलगाम डेवलपमेंट अथॉरिटी (PDA) के अकाउंट ऑफिसर बशीर खान ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा, “बैसरन घाटी साल भर खुली रहती है. लेकिन अगर बर्फ या बारिश ज्यादा हुई तो टूरिस्ट खुद ही उधर नहीं जाना चाहते हैं तो उस वक्त बंद रहता है. हमारी तरफ से कोई रिस्ट्रिक्शंस नहीं है. हमने बैसरन घाटी के मेंटेनेंस का कॉन्ट्रैक्ट अलॉट किया है, उसमें हमने साफ-साफ लिखा है कि यह बैसरन घाटी साल भर खुली रहनी चाहिए. जब भी टूरिस्ट यहां आना चाहेंगे आ सकते हैं. अगर मौसम ठीक रहेगा, रास्ता ठीक रहेगा तो घाटी पूरे साल भर खुली रहेगी.”</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, “पिछले साल बस अमरनाथ यात्रा के दौरान 2 महीने घाटी बंद थी. हालांकि उस वक्त टूरिस्ट भी बहुत कम थे. जो ठेकेदार हैं वह टूरिस्ट से 30 रुपये का टिकट लेते हैं, तब घाटी में जाना होता है.”</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने आगे कहा, “पिछले साल 12 अप्रैल, 2024 को ठेकेदार को हमने 3 साल के लिए तीन करोड रुपये का कॉन्ट्रैक्ट दिया था. जिसमें उसे बैसरन घाटी को मेंटेन करके रखना था. 13 अप्रैल, 2025 को इंस्टॉलमेंट का 40% हिस्सा जमा कराया होगा. मुझे नहीं लगता कि उधर कोई सिक्योरिटी होती थी. मैं भी वहां दो बार गया हूं, लेकिन हमने कभी सिक्योरिटी नहीं देखी, ना अंदर, ना रास्ते में और न हीं बाहर. हमसे कभी नहीं कहा गया कि बैसरन घाटी कब खोलना या बंद करना चाहिए.”</p>
<p style="text-align: justify;">PDA के अधिकारी ने कहा, “बैसरन घाटी जाने के लिए किसी स्पेशल परमिशन की जरूरत भी नहीं है. टूर ऑपरेटर अपना रजिस्ट्रेशन करते हैं लेकिन उन्हें किसी परमिशन की जरूरत नहीं होती है. टूरिस्ट को बैसरन घाटी ले जाने के लिए वह अपनी जिम्मेदारी पर ले जाते हैं.”</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, अब मसले पर कांग्रेस ने भी सवाल उठाया शुरू कर दिया था. कांग्रेस महासचिव और जम्मू कश्मीर सरकार में 2 बार के पर्यटन मंत्री रहे गुलाम अहमद मीर ने कहा कि उन्होंने CM उमर अब्दुल्ला जिनके पास इस वक्त टूरिज्म मंत्रालय हैं, उन्हें भी इस बात की जानकारी नहीं है कि बेसरन घाटी को टूरिस्टों को कभी बंद भी किया जाता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या बोले कांग्रेस नेता?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">कांग्रेस पार्टी के महासचिव गुलाम अहमद मीर ने कहा, “कल राहुल गांधी के साथ हम मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल से मिले थे. यह स्थिति को बहकाने वाली बात है. मैं भी दो बार टूरिज्म मंत्री रहा हूं, ऐसा कोई सबूत ही नहीं है कि बैसरन घाटी बंद रहती थी और इसको खोलने के लिए किसी तरह की परमिशन मांगनी पड़ती थी. सर्दियों में भी लोग वहां जाते रहे हैं. मैं पहली बार सुन रहा हूं कि बैसरन घाटी को जून में खुलना था और इस बार पहले खुल गया.”</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, “कल मैं मुख्यमंत्री से भी मिला, जिनके पास टूरिज्म विभाग है. उन्होंने कहा कि मैंने विभाग से पता करवाया है कि कब टूरिज्म विभाग, सुरक्षा बलों से बैसरन घाटी खोलने की परमिशन मांगता था. लेकिन ऐसा कभी नहीं था. बैसरन घाटी ऑल टाइम फ्री है. उसके लिए ना कभी परमिशन मांगा गया और न हासिल किया गया.”</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इस हमले को लेकर अभी भी कई सवाल हैं- गुलाम अहमद मीर</strong></p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, “अब ब्लेम बाजी चल रही है, एक डिपार्टमेंट दूसरे डिपार्टमेंट पर सवाल उठा रहा है. बहुत सारे सवाल हैं इस घटना के पीछे. जम्मू कश्मीर के 35 साल के मिलिटेंट इतिहास में टूरिस्ट पर कभी हमला नहीं हुआ और उसमें भी <a title="पहलगाम" href="https://www.abplive.com/topic/pahalgam-terror-attack" data-type="interlinkingkeywords">पहलगाम</a> सबसे सुरक्षित टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. यहां अमरनाथ यात्रा होती है. 3 टियर की सिक्योरिटी होती है, जिसमें पुलिस, सीआरपीएफ-बीएसएफ और आर्मी होते हैं. आज भी यह तीनों फोर्स यहां मौजूद हैं. लेकिन उनके होते हुए भी यह घटना हुई. इसको लेकर जनता के मन में भी कई सवाल है.” </p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने आगे कहा, “मुझे नहीं लगता कि जो कदम उठाए गए हैं वह पर्याप्त हैं. 140 करोड़ की जनता चाहती है कि 36 इंच वाले जो 56 इंच बोलते-बोलते वोट लेते रहे हैं. अब मौका आया है अब तो जनता को सुरक्षित करो. उनको ऐसे कदम उठाना है जिससे देश को सुरक्षा मिले.”</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति कायम करनी है तो 370 हटाना होगा, हटा दिया. फिर उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अमन कायम करने के लिए राज्य को तोड़ना होगा, उन्होंने तोड़ दिया. फिर उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनाने से ताकत मिलेगी और उन्होंने वह भी बनाया. लेकिन इसके बावजूद इतने बड़े घटनाएं हो रही हैं. यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है. इस वक्त सारी प्रशासन केंद्र सरकार के पास है. देश ने पिछले 11 सालों से ड्राइविंग सीट पर एक तथाकथित मजबूत आदमी को बिठाया है. हम सरकार के साथ हैं, बाकी कदम क्या उठाने चाहिए वह सरकार को देखना होगा.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जंग के हक में नहीं- तारिक हमीद कर्रा</strong></p>
<p style="text-align: justify;">वहीं, जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने एबीपी न्यूज से कहा, “सवाल बहुत सारे हैं, सिक्योरिटी पर सवाल हैं, लापरवाहियों पर सवाल हैं, सवाल के अंदर कई सवाल हैं, जो पूरा देश जानना चाहेगा और यह सवाल जो लोग सरवाइवर हैं वह भी उठा रहे हैं.” उन्होंने कहा, “इस वक्त हम भारत और पाकिस्तान दोनों सरकारों से अनुरोध करेंगे कि हालात को शांत रखें. मैंने चार जंगें देखी हैं और जंग का खामियाजा स्थानीय लोगों को ही उठाना पड़ता है. स्थानीय होने के नाते कहता हूं कि दोनों देशों को अपना संयम बनाकर रखना है और किसी भी मुद्दे को बातचीत से हल करना चाहिए. अगर कोई भड़काऊ बयानबाजी हो रही है तो वह नहीं होनी चाहिए. हम जंग के हक में नहीं है.”</p>
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