'पश्चिम बंगाल के लिए चुनौती बन रहा कट्टरपंथ',, जानें गवर्नर सीवी बोस ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में क्या कहा
<p style="text-align: justify;">पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद जिले में हाल में हुए दंगों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को रविवार (4 मई, 2025) को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या राज्य के लिए गंभीर चुनौती बन गई है.</p>
<p style="text-align: justify;">बोस ने अपनी रिपोर्ट में कई उपाय सुझाए हैं, जिनमें एक जांच आयोग का गठन और बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में केंद्रीय बलों की चौकियां स्थापित करना शामिल है. इसके अलावा उन्होंने लिखा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत प्रावधान भी विकल्प बने रहेंगे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>’बंगाल में राष्ट्रपति शासन का भी विकल्प'</strong><br />रिपोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत प्रावधानों के उल्लेख के बारे में पूछे जाने पर एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के कार्यान्वयन का प्रस्ताव नहीं दिया है. उनका मतलब यह था कि यदि राज्य में स्थिति और बिगड़ती है तो संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधानों पर केंद्र विचार कर सकता है. संविधान के अनुच्छेद 356 के लागू होने का मतलब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना है. </p>
<p style="text-align: justify;">राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद हिंसा का प्रभाव राज्य के अन्य जिलों पर पड़ने की आशंका व्यक्त की और सिफारिश की कि केंद्र सरकार को लोगों में कानून के शासन के प्रति विश्वास पैदा करने के अलावा मौजूदा स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए संवैधानिक विकल्पों पर विचार करना चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>’कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या बनी चुनौती’ </strong><br />बोस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या पश्चिम बंगाल के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है, विशेषकर बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले दो जिले मुर्शिदाबाद और मालदा में. इन दोनों जिलों में प्रतिकूल जनसांख्यिकीय संरचना है और हिंदू अल्पसंख्यक हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">राज्यपाल ने हिंसा के बाद के हालात में उठाए जाने वाले कई उपाय सुझाए. इस हिंसा में एक व्यक्ति और उसके बेटे सहित कम से कम तीन लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए, इसका भी जिक्र इस रिपोर्ट में किया गया है. वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बाद मुर्शिदाबाद में दंगे हुए थे.</p>
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