पाकिस्तान से आए हिन्दू परिवारों में डर का माहौल,सरकार कहीं उन्हें वापस ना भेज दे.
Haryana News: करीब 20 साल पहले पाकिस्तान में यातनाए सह कर भारत आए एक हिंदू परिवार को फिर से पाकिस्तान जाने का डर सताने लगा है.पहलगाम में हुई नृशंस हत्या से जहां पूरे देश में रोष है वहीं पाकिस्तान से भारत आए एक हिंदू परिवार में भी डर का माहौल है. करीबन 75 वर्षीय भरो देवी 2005 में करीबन 100 लोगों के परिवार के साथ रोहतक जिले के मदीना गांव में आई थी.
अभी 20 साल बीत जाने के बाद भी भानो देवी उसके बेटे हंस दास को पाकिस्तान में दी जाने वाली यातनाएं याद आ रही हैं. परिवार का कहना है कि उन्हें पाकिस्तान न भेजा जाए हालांकि बहुत सारे परिवारों को भारतीय सदस्यता मिल चुकी है लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी है जिन्हें अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है.
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में सैलानियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उनकी हत्या करने के मामले ने पूरे देश को झंकझोर कर रख दिया है. ऐसे में भारत सरकार ने ऐलान किया है जो पाकिस्तानी लोग भारत में रह रहे हैं, वह 48 घंटे में भारत छोड़ दे वहीं सरकार द्वारा दी गई डेडलाइन का आज आखिरी दिन है. ऐसे में करीबन 100 लोगों के परिवार के साथ रोहतक जिले के मदीना में आई 75 वर्षीय भानो देवी को एक बार फिर से पाकिस्तान जाने का डर सताने लगा है और पाकिस्तान में किए गए उनके साथ दुर्व्यवहार की कहानी उन्हें बार-बार याद आ रही है.
अब भानो देवी के परिवार को डर सताने लगा है कहीं सरकार उन्हें वापस पाकिस्तान न भेज दें इसलिए वह सरकार से यही आग्रह कर रहे हैं कि उन्हें मुसलमान के हाथों मरने से बचाया जाए, हालांकि अभी तक पुलिस ने भानो देवी के परिवार से संपर्क नहीं किया है. इसका कारण यह भी हो सकता है कि बहुत सारे परिवारों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी है जिन्हें अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है. यह सभी हिंदू परिवार है जो पाकिस्तान में कभी रहते थे और वहां किए गए जुल्मों से तंग आकर भारत में पहुंचे थे.
भानो देवी का कहना है कि 20 साल बाद उन्हें फिर से वही मंजर याद आ रहा है यहां पर उनका वोटर कार्ड, राशन कार्ड, पहचान पत्र तक बन चुका है और उन्हें डर सताने लगा है कि कहीं भारत सरकार उन्हें वापस पाकिस्तान में न भेज दे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में उन्हें मुस्लिम धर्म अपनाने को कहा गया था. गाय का मांस खाने के लिए कहा गया था और अपनी बहन बेटियों को मुसलमानो को सौंप देने की बात कही थी जो उन्हें ना गंवारा था.
वहीं भानो देवी के बेटे हंसराज का कहना है कि 23 मई 2005 को वह पाकिस्तान से भारत आए थे जब वह स्कूल में पढ़ते थे तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था सभी मुस्लिम लड़के बेंच पर बैठते थे और उन्हें नीचे बैठना पड़ता था, यही नहीं मौलवी ने एक दिन उनसे नमाज के बारे में पूछा तो मैंने कहा कि मुझे नमाज नहीं आती तो उसकी कांटेदार छड़ी से बुरी तरह से पिटाई की और उसे जबरदस्ती मस्जिद में ले जाया गया और नमाज पढ़वाई. उन्होंने कहा कि जब वह पाकिस्तान के हालातों के बारे में सोचते हैं तो घबरा जाते हैं.
हालांकि हंस दास की अपनी टायर पंचर की दुकान है और वह रोहतक जिले के मदीना गांव में रहते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ परिवार उनके दूसरे जिलों में चले गए हैं कुछ को नागरिकता मिला लेकिन कुछ को अभी तक नागरिकता नहीं मिली है अब वह पाकिस्ता न नहीं जाना चाहते. वहां पर हिंदू परिवारों पर काफी जुल्म करते हैं. वहीं हंस दास की पत्नी सुमन का कहना कि उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते इतना कहते ही सुमन की आंखों में आंसू निकल आते हैं.
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