3 साल की उम्र में एसिड अटैक, आंखें चली गईं… अब कैफी ने 12वीं में 95.6% नंबर लाकर किया टॉप

परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की वो खुद की नाप लेते हैं बुलंदी आसमानों की. एसिड अटैक पीड़िता कैफी पर ये लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती हैं. कैफी देख नहीं सकती क्योंकि एसिड अटैक हमले में उनकी आंखें चली गईं. चेहरा पूरा जल गया लेकिन उनके हौसले पूरी तरह जिंदा हैं. वह आईएएस बनने का सपना देखती हैं. कैफी ने संस्थान फॉर द ब्लाइंड में 12वीं कक्षा में 95.6% अंक हासिल कर टॉप किया है. 10वीं कक्षा में भी कैफी ने 95.2% अंक के साथ पहला स्थान पाया था. कैफी के बाद सुमंत पोद्दार ने 94% अंक के साथ दूसरा और गुरसरण सिंह ने 93.6% अंक के साथ तीसरा स्थान हासिल किया. 10वीं कक्षा की बात करें तो सनी कुमार चौहान ने 86.2% अंकों के साथ टॉप किया. संस्कृति शर्मा ने 82.6% के साथ दूसरा और नीतिका ने 78.6% के साथ तीसरा स्थान पाया.
पढ़ाई के लिए सामने आई कई चुनौतियां
संस्थान फॉर द ब्लाइंड के दृष्टिहीन छात्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौती पढ़ाई के लिए सामग्री जुटाना रहा. ऑडियो बुक्स की कमी और ब्रेल पुस्तकों की सीमित उपलब्धता के कारण छात्रों को यूट्यूब और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का सहारा लेना पड़ा.
सुमंत पोद्दार ने कहा कि मैंने सख्त रूटीन फॉलो नहीं किया. जब मन करता था मैं तब पढ़ाई करता था और बाकी समय दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलता था. ऑडियो बुक्स और यूट्यूब ने काफी मदद की. गुरसरण सिंह जो खारड़ के रहने वाले हैं, ने कहा कि हिंदी माध्यम के छात्र होने के कारण ऑडियो बुक्स मिलना और भी मुश्किल हो गया. कई बार मुझे दूसरों से किताबें रिकॉर्ड करानी पड़ीं, ताकि मैं पढ़ाई कर सकूं, लेकिन इन मुश्किलों ने मुझे मजबूत बना दिया.
कैफी के पिता हरियाणा सचिवालय में चपरासी हैं…
17 साल की कैफी की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है. मात्र तीन साल की उम्र में पड़ोसियों ने पारिवारिक रंजिश के चलते कैफी पर एसिड फेंक दिया था, जिससे उसकी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई. कैफी का इलाज कई सालों तक दिल्ली के एम्स में चला. 2016 में उसने स्कूल में दाखिला लिया. 2018 में उसके माता-पिता बेहतर शिक्षा के लिए उसे लेकर चंडीगढ़ आ गए. कैफी के पिता पवन हरियाणा सचिवालय में चपरासी हैं और मां सुमन गृहिणी हैं. दोनों ही 5वीं पास हैं.
IAS बनना चाहती हैं कैफी
कैफी को पहली बार 10 साल की उम्र में दूसरी कक्षा से सीधे 6वीं कक्षा में दाखिला दिया गया था. कैफी ने बताया शुरुआत में 6वीं में पढ़ाई करना मुश्किल था, लेकिन मैंने खुद से पढ़ाई की और धीरे-धीरे सब आसान हो गया. अब मेरा सपना IAS ऑफिसर बनने का है. मैं रोज सुबह-शाम 2-3 घंटे पढ़ाई करती हूं.
कैफी को न्याय कब मिलेगा
कैफी के साथ हुए अन्याय के खिलाफ उसके माता-पिता ने 2018 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. 2020 से यह केस लंबित है. कैफी ने कहा,हमारी लड़ाई अभी भी जारी है. मैं पढ़ाई में अच्छा कर रही हूं ताकि एक दिन मैं खुद अपने केस के लिए आवाज उठा सकूं और न्याय पा सकूं. कैफी की यह सफलता उन सभी छात्रों के लिए एक प्रेरणा है, जो मुश्किलों से हार मानने की बजाय उन्हें पार करने की हिम्मत रखते हैं.