IIM Ranchi Will Do Research On Tribal Entrepreneurship In Jharkhand Know Its Purpose
Jharkhand News: झारखंड में आईआईएम रांची ने जनजातीय अर्थव्यवस्था पर रिसर्च करने का फैसला लिया है. इस रिसर्च के रिपोर्ट पर एक किताब भी आएगी. दरअसल, आईआईएम रांची के निदेशक दीपक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि, आईआईएम रांची के बिरसा मुंडा सेंटर फॉर ट्राइबल अफेयर्स के तहत आदिवासी उद्यमिता पर रिसर्च होगा.
दीपक श्रीवास्तव ने आगे कहा कि, स्थानीय जिम्मेदारी पर ध्यान देने के साथ बिरसा मुंडा सेंटर फॉर ट्राइबल अफेयर्स आईआईएम रांची का उद्देश्य आदिवासी उद्यमिता पर रिसर्च करना है. इस रिसर्च का उद्देश्य भारत के आदिवासी उद्यमों पर वैश्विक प्रभाव का आकलन करना है. यह रिसर्च जनजातियों के स्वामित्व वाले उद्यमों की एक व्यापक तस्वीर पेश करेगा. इसमें सामाजिक और कमर्शियल उद्यम दोनों शामिल हैं.
इन मुद्दों पर आधारित होगा रिसर्च
श्रीवास्तव ने आगे कहा कि, रिसर्च उद्यमों के विकास, समुदाय आधारित उद्यमों की सफलता की कहानियों, सफलता और प्रतिकृति की खोज, नए उद्यम बनाने के लिए लघु वन उत्पादों के अनुकूलन, आदिवासी कौशल विकास, आदिवासी क्षेत्रों में मुद्दों और अवसरों और भारत में जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास पर केंद्रित होगा. वहीं इस शोध के केंद्र के अध्यक्ष रेन्जिथ आर हैं जो केरल के एक आदिवासी समुदाय से हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी समुदाय को प्रभावित करने वाली कई समस्याओं के बीच उन्होंने समुदाय को सशक्त बनाने के बारे में सोचा जिसका स्थायी प्रभाव होगा.
रिसर्च का उद्देश्य क्या है?
रेन्जिथ आर ने बताया कि, हम आदिवासी आबादी के बीच हैं और यह सोचते हैं कि एक बिजनेस स्कूल के रूप में हम आदिवासी उद्यमिता के बारे में सबसे अच्छा क्या कर सकते हैं. हमने केंद्र सरकार की ‘वन धन विकास योजना’ और ‘उन्नत भारत अभियान’ का हिस्सा बनकर शुरुआत की थी. हमने स्वयं सहायता समूह से जुड़ी दीदियों को प्रशिक्षण दिया है. इससे उन्हें कुछ प्रकार की आय सृजन करने में मदद मिली और यह जानते हुए कि झारखंड के लगभग 29 प्रतिशत वन क्षेत्र से उनके द्वारा उत्पादित उपज का अधिकांश लाभ बिचौलियों को मिल रहा है तब भी हम उन्हें सशक्त बना रहे हैं. शोध का उद्देश्य पूरे भारत में उद्यमिता की समझ हासिल करना है जिसे हम झारखंड में दोहराएंगे.