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Pahalgam Baisaran Valley Terror Attack 5 top Lashkar-Hizbul commanders carried out on the orders of Saifullah Kasuri ann


Pahalgam Terror Attack: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इसकी जड़ें पाकिस्तान के भीतर गहराई तक जुड़ती जा रही हैं. खुफिया एजेंसियों को शक है कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के 5 बड़े आतंकियों ने लश्कर के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी के आदेश पर रचा था, जिसकी जांच खुफिया एजेंसी कर रही है. जिसके नाम हैं PoK में तैनात लश्कर के टॉप कमांडर अबू मूसा, हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी का कमांडर इदरीस शाहीन, लश्कर के लिए पीओके में भर्ती करने वाले कमांडर मोहम्मद नवाज़, हिजबुल का ऑपरेशनल कमांडर और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के नेता अब्दुल रफ़ा रसूल और लश्कर के फील्ड कमांडर अब्दुल्ला खालिद.

फरवरी में ही हो गई थी प्लानिंग

सूत्रों के मुताबिक, साजिश का खाका फरवरी में ही तैयार हो गया था, जिसका एक सबूत सैफुल्लाह कसूरी के 2 फ़रवरी के बयान में छुपा हुआ है, जिसमें उनसे बयान दिया था कि फरवरी 2026 तक कश्मीर इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, इस भाषण के बाद फरवरी के आख़िरी हफ़्ते में पंजाब के कसूर जिले में सैफुल्लाह कसूरी ने अबू मूसा, इदरीस शाहीन, मोहम्मद नवाज़,अब्दुल रफ़ा रसूल और अब्दुल्ला खालिद के साथ बैठक की थी. खुफिया सूत्रों की मानें तो उन्हें शक है कि हो सकता है इसी बैठक में इन पांचों आतंकियों को सैफुल्लाह कसूरी ने कश्मीर पर बड़ा हमला करने का आदेश दिया हो क्यूंकि कसूरी से मिलने के ठीक के हफ़्ते के भीतर मार्च के पहले हफ़्ते में इन 5 कमांडरों ने पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर के मीरपुर शहर के खम्बल इलाके में एक बैठक की थी, जिसमें सूत्रों को शक है कि इन आतंकियों ने कश्मीर में हमले की योजना और रूपरेखा तय की थी जिसकी विधिवत जांच खुफिया एजेंसी कर रही है.

11 मार्च को कश्मीर आया था सैफुल्लाह कसूरी

यह तथ्य इसलिए भी साफ साबित होता है क्योंकि 11 मार्च को ख़ुद सैफुल्लाह कसूरी पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर के मीरपुर शहर में गया था जिसकी Exclusive तस्वीरें और वीडियो एबीपी न्यूज़ के पास मौजूद हुआ. यहां कसूरी ने एक जलसे को संबोधित किया और संबोधित करने से पहले ही मंच पर मौजूद लश्कर के कमांडर अबू मूसा से सैफ़ुल्लाह कसूरी गले मिल रहा है पीठ थपथपा रहा था और इदरीस शाहीन भी इस जलसे में शामिल था. सूत्रों के मुताबिक जलसे के बाद सैफ़ुल्लाह कसूरी मेंर्फ़ इन पांचों आतंक के कमांडर के साथ बैठक भी की थी. ऐसे में सूत्रों की मानें इस बात की पूरी आशंका है कि इस बैठक में कश्मीर में बड़े अटैक की रूपरेखा पर चर्चा की गई और आदेश दिया कि हमला बड़ा होना चाहिए और दूसरे राज्य के लोगों पर होना चाहिए.

इस बैठक के बाद मार्च महीने के आख़िरी हफ़्ते में मीरपुर में फिर से इन पांचों आतंकियों ने बैठक की और सूत्रों के मुताबिक इसके बाद मार्च महीने के आख़िरी हफ़्ते में मीरपुर के खम्बल में बैठक करके हमले की जगह पहलगाम को चुना गया और 22 अप्रैल का दिन तय किया गया.

18 अप्रैल को रावलकोट में इकट्टा हुए 5 आतंकी कमांड

इसके बाद 18 अप्रैल को पहलगाम में हमले से ठीक 4 दिन पहले ये सभी 5 आतंकी कमांडर जिन पर जांच एजेंसियों को शक है वो 18 अप्रैल को पाकिस्तान के कब्जे वाले रावलकोट में इकट्टा हुए और सूत्रों की मानें तो पूरी दुनिया को दिखाने के लिए तो यह मजमा भारतीय सेना द्वारा 17 मार्च को मारे गए आतंकी अब्दुल हलीम की मौत पर शोक सभा का था, लेकिन मज़मे का असल मकसद पहलगाम हमले के प्लान को अंतिम रूप रेखा देना था और उस दिन दी गई तक़रीरों में भी इन आतंकियों के अपने मंसूबे साफ़ कर दिए थे कि ये कश्मीर में आतंकी हमला करने जा रहे हैं.

एबीपी न्यूज़ के पास मौजूद 18 अप्रैल के Exclusive वीडियो में आतंकी संगठन लश्कर का कमांडर अब्दुल्ला खालिद अपने भाषण में धमकी दे रहा था कि जिस तरह से भारतीय सेना ने 17 मार्च को आतंकियों को ढेर किया और पाकिस्तान की फौज पर फायरिंग की थी. ऐसे में वादा कर रहा हूं कि बॉर्डर के उस पार मुजाहिद्दीन की ऐसी लाइन लगायी जाएगी जैसी 1995 से 2001 तक थी. इतना ही नहीं अपने मंसूबे बयान करते हुए इस आतंकी ने कहा था कि हज़ारों मुजाहिद्दीन भारत में भेजेंगे और भारत की नसल ख़त्म करेंगे.

आतंकियों के इस मजमे में हरकत उल जिहाद अल इस्लामी का कमांडर इदरीस शाहीन भी मौजूद था और अपनी तकरीर में ना सिर्फ जिहाद ए इस्लामी के कमांडर इदरीस शाहीन ने न सिर्फ भारत को धमकी दी, बल्कि कहा कि जब आतंकी कश्मीर में हमला करते हैं तब भारत चिल्लाता है लेकिन ये याद रखना कि मुसलमानों के दो ही दुश्मन हैं- एक यहूदी और एक हिंदू. बताते चलें कि हरकत उल जिहाद अल इस्लाम के आतंकियों ने 2003 में गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री हीरेन पांड्या की हत्या की थी. ऐसे में अपनी तकरीर में 2002 के अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमले का जिक्र करते हुए आतंकी इदरीस शाहीन ने कहा कि साल 2002 में अहमदाबाद में हमला करके मुजाहिद्दीनों ने मोदी को सबक सिखाया था और एक जर्नल को मारा था. ऐसे में और सबक सिखाया जाएगा और कश्मीर में भी जिहाद को बरकरार रखा जाए.

कैसे पहलगाम हमले की प्लानिंग को दिया गया अंतिम रूप

पहलगाम हमले की प्लानिंग को अंतिम रूप रेखा देने के लिए आयोजित मजमे में यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का नेता और हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर अब्दुल रफा रसूल भी मौजूद था. इस यूनाइटेड जिहाद काउंसिल को पाकिस्तान की सेना ने 90 के दशक में कश्मीर में दहशत फैलाने के लिए बनाया था, जिसमें जैश ए मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, हरकत उल अंसार के आतंकी शामिल थे और इसके मुखिया सैयद सलाउद्दीन है.

अपनी तकरीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर अब्दुल रफा रसूल ने ना सिर्फ कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ जिहाद फैलाने का आव्हान किया बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों से बंदूक उठा कर भारत में जाने की अपील की. इतना ही नहीं हिजबुल के इस कमांडर ने अपनी तकरीर में दावा किया था कि कश्मीर में आने वाले और रहने वाले हिंदू दिल्ली तक कश्मीरियों की मुखबिरी करते हैं.

इसी तरह लश्कर के कमांडर मुहम्मद नवाज जिसका बेटा और भाई दोनों भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे उनसे अपनी तकरीर में धमकी देते हुए कहा कि मेरा बेटा और भाई दोनों भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे लेकिन अब वक्त है कश्मीर के जो दहशतगर्दी हमने पेश की थी उसके पीछे जाया जाए (फिर से दोहराया जाए ) आज मैं भी तैयार हूं और मेरे साथ आप लोग भी तैयार हैं.

इसी मजमे में सबसे आखिर में तकरीर लश्कर के कमांडर अबू मूसा ने दी थी जिसमें अबू मूसा ने भारत के खिलाफ जिहादी तकरीर देते हुए कहा था कि भारत ने 370 और 35A demographic चेंज के लिए हटाया था, मुसलमानों को अल्पसंख्यक बनने के लिए हटाया लेकिन मुजाहिद्दीनों की बंदूकों ने ना कभी हिंदुओं को बसने दिया और ना ही कभी बसने देंगे. साथ ही अबू मूसा ने धमकी दी कि मुजाहिद्दीन पहले ही भारत को धमकी दे चुके है कि अगर कश्मीर में हिंदू बसेंगे तो उन पर गोलियों की बौछार होगी और सर काटे जाएंगे. सात ही इसी मजमे में भारत में आतंकी संगठन घोषित जमात ए इस्लामी का डिप्टी चीफ जाहिद रफीक भी मौजूद था.

एबीपी न्यूज के पास फुटेज मौजूद

एबीपी न्यूज के पास 18 अप्रैल को इन आतंकियों के मजमे की सारी वीडियो फुटेज मौजूद है और खुफिया सूत्रों के मुताबिक इस बात की पूरी आशंका है कि 18 अप्रैल को पहलगाम हमले से सिर्फ 4 दिन पहले पहलगाम से 250 किलोमीटर दूर रावलकोट में मजमा लगा कर ये आतंकी ना सिर्फ भारत के खिलाफ जिहाद का ऐलान कर रहे थे बल्कि अभी तक की पड़ताल में सामने आया है कि हो सकता है कि 18 अप्रैल के मजमे के बाद इन कमांडरों ने पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों को भारत में घुसाया हो क्योंकि रावलकोट हमेशा से भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकियों का लॉंच पैड रहा है और खुफिया सूत्रों के मुताबिक रावलकोट में हिजबुल मुजाहिदीन और जैश के 50 से ज़्यादा ट्रेनिंग कैम्प भी है. 

इतना ही नहीं एजेंसियों को ये भी शक है कि सैफुल्लाह कसूरी और कसूरी के द्वारा 5 टॉप आतंकी कमांडरों से हमला का प्लान और आतंकी हमला करवाने की ये पूरी पटकथा पाकिस्तानी सेना और ISI ने लिखी हो क्योंकि सैफुल्लाह कसूरी के पाकिस्तान की सेना के साथ ना सिर्फ अच्छे संबंध हैं बल्कि कसूरी की एक तस्वीर भी एबीपी न्यूज़ के हाथ लगी है, जिसमें कसूरी पाकिस्तानी रेंजर्स के अधिकारी ज़ाहिद ज़रीन के साथ एक कार्यक्रम में मौजूद है. गुलदस्ता लेकर फोटो खिंचवा रहा है और घूम रहा है. ऐसे में एक बात तो साफ़ है कि सैफुल्लाह, अबू मूसा, इदरीस शाहीन, मोहम्मद नवाज़,अब्दुल रफ़ा रसूल और अब्दुल्ला खालिद सिर्फ़ वो चेहरे है जो दिखाई दे रहे हैं और सारे डॉट्स हमले के तार सीधा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और पाकिस्तानी सेना से जोड़ रहे है जिनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड भारत में आतंकी हमले करवाने का है. फ़िलहाल खुफिया एजेंसियां प्रारंभिक स्टेज में पहलगाम हमले में इस थ्योरी पर पहुंची है और जांच अभी भी जारी है. ऐसे में देखना होगा कि आने वाले दिनों में और कौन से सबूत ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लगते हैं और कौन से किरदार सामने आते हैं.

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