Supreme Court orders to change KYC Process for Visually impaired and Acid Attack Survivors ann
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड हमला पीड़ित लोगों के लिए डिजिटल KYC प्रक्रिया में बदलाव करने का आदेश दिया है . याचिका में कहा गया था कि बैंक खाता खोलने या सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए होने वाली KYC पहचान में आंखों के झपकने की लाइव फोटो खींचने की व्यवस्था है, लेकिन आंखों को पहुंचे स्थायी नुकसान के चलते वह ऐसा नहीं कर पाते.
सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को ऐसे लोगों के लिए वैकल्पिक डिजिटल KYC की व्यवस्था बनाने को कहा है. कोर्ट ने दिव्यांगों के अलावा दूरदराज के इलाके में बसे लोगों को भी डिजिटल एक्सेस में आने वाली दिक्कत का निदान करने के लिए सरकार को कहा है. कोर्ट ने माना है कि डिजिटल सेवाओं तक पहुंच समानता और सम्मान से जीवन जैसे मौलिक अधिकारों से जुड़ा है.
कोर्ट ने कहा कि उन्होंने माना कि विकलांग लोगों के लिए केवाईसी प्रक्रिया में बदलाव करने की जरूरत है क्योंकि नेत्रहीन और एसिड अटैक के पीड़ित फेशियल विकृति के कारण प्रक्रिया पूरी करने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधान केवाईसी प्रक्रिया में शामिल होने का याचिकाकर्ताओं को वैधानिक अधिकार प्रदान करते हैं. जरूरी है कि केवाईसी दिशा-निर्देशों को एक्सेसिबिलिटी कोड के साथ संशोधित किया जाए.
कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में से एक एसिड अटैक पीड़िता से जुड़ी थी, जिसमें बताया गया कि साल 2023 में वह ICICI बैंक में अकाउंट खुलवाने के लिए गईं, लेकिन वह केवाईसी प्रक्रिया पूरी नहीं कर सकीं क्योंकि बैंक का कहना था कि उन्हें पलक झपकाते हुए लाइव फोटो खिंचवाना जरूरी था.
आरबीआई की गाइडलाइन है कि ग्राहक की जीवंतता साबित करने के लिए पलक झपकाते हुए लाइव फोटो खिंचवाना जरूरी है, जिसके बाद ही केवाईसी प्रक्रिया पूरी होती है. हालांकि, इस मुद्दे को लेकर बवाल मचने के बाद बैंक ने याचिकाकर्ता को अपवाद बना दिया. ऐसे ही कई और याचिकाकर्ता भी इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं.
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