Waqf Act Supreme Court Sufi Sant Peer Syed Khalid Naqvi ul Husaini reaction
Waqf Amendment Act: वक्फ कानून को लेकर देश भर में चर्चा हैं. वक्फ कानून को लेकर दाखिल याचिकाओं पर आज (5 मई) फैसला टाल दिया गया और अब अगली सुनवाई 15 मई को होनी है. इसी बीच देश के प्रमुख सूफी संत खालिद नकवी अल हुसैनी (Khalid Naqvi ul Husaini) ने इस बिल का खुलकर समर्थन किया है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस बिल के जरिए वक्फ संपत्तियों का सही उद्देश्य पूरा हो सकेगा और वक्फ माफियाओं पर सख्ती से कार्रवाई संभव होगी.
नए कानून में होगा संपत्तियों का इंसाफ- अल हुसैनी
खालिद नकवी अल हुसैनी ने कहा, “हम पूरे भारत के सूफी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. हम इस बिल के समर्थन में इसलिए हैं क्योंकि जिन लोगों ने अपनी संपत्ति को वक्फ किया, उनका उद्देश्य अब तक पुराने कानूनों के तहत कभी पूरा नहीं हुआ. नए संशोधन विधेयक में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जो संपत्ति जिस मकसद से वक्फ की गई है, उसका सही उपयोग हो.”
Ahmedabad, Gujarat: On the Waqf Amendment BilI, Sufi Sant Khalid Naqvi ul Husaini says, “…I sincerely thank Prime Minister Modi for understanding and giving a voice to the Sufi community, which has long been the most affected. Despite strong opposition, he showed great courage… pic.twitter.com/mnkvBPfg2W
— IANS (@ians_india) May 5, 2025
80% लोग कानून के समर्थन में, 20% सड़कों पर- अल हुसैनी
उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश वक्फ संपत्तियां सूफी दरगाहों के पास हैं और इनका दुरुपयोग लंबे समय से माफियाओं द्वारा होता आ रहा है. उन्होंने कहा, “80 प्रतिशत लोग इस बिल के समर्थन में हैं. जो 20 प्रतिशत इसका विरोध कर रहे हैं, वे माफियाओं से जुड़े हैं और नहीं चाहते कि इन संपत्तियों की सच्चाई सामने आए.”
खालिद नकवी अल हुसैनी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उससे जुड़ी संस्थाओं का जिक्र भी किया. उन्होंने एक ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा, “1957 के एक फैसले में 900 एकड़ जमीन का ज़िक्र है जो राजाओं और नवाबों ने वक्फ की थी, लेकिन आज वहां 9 फीट जमीन भी नहीं बची. सब माफियाओं द्वारा हड़प ली गई है.”
PM मोदी का दिल से धन्यवाद- अल हुसैनी
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा, “मैं प्रधानमंत्री मोदी का दिल से धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने सूफी समुदाय की आवाज सुनी और इस लंबे समय से पीड़ित वर्ग के लिए ठोस कदम उठाया. दोनों सदनों में बिल पास करवा कर और राष्ट्रपति से मंजूरी दिलाकर उन्होंने साहसिक निर्णय लिया है. यह वास्तव में एक ऐतिहासिक कदम है.”