Explainer :पाकिस्तान की एटमी धमकियों में कितना दम? गीदड़भभकी देने वाले मुल्क की जानिए असलियत

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से सरगर्मियां तेज हैं. आतंकियों की तलाश जारी है. आतंकियों और उनके आकाओं को शह देने वाले पाकिस्तान के साथ भारत ने काफी सख्त रुख अपनाया है जिससे पाकिस्तान की छटपटाहट भी साफ दिख रही है. इस सबके बीच सबकी ज़ुबान पर एक ही सवाल है कि पहलगाम के गुनहगारों और उन्हें शह देने वालों को सबक सिखाने की बात पर कब अमल किया जाएगा. लेकिन ये बात कहनी-सुननी जितनी आसान है, उस पर अमल करना उतना ही जटिल. सरकार जानती है कि जल्दबाजी ठीक नहीं, जनता द्वारा भी जल्दबाजी में कार्रवाई का दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए. सरकार ने कार्रवाई के लिए सेना को खुली झूठ दी है. कार्रवाई कब, कहां और कैसे होगी ये अब सेना को ही तय करना है. सटीक कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन युद्ध न ही भड़के तो बेहतर. पाकिस्तान की तरह युद्ध का उन्माद नहीं होना चाहिए.
मॉक ड्रिल के दौरान ब्लैक आउट रहेगा
युद्ध अपने साथ अंधेरा लेकर आता है. पंजाब के सीमावर्ती इलाके फिरोज़पुर कैंटोनमेंट की तस्वीरें रविवार रात की हैं. दुश्मन की संभावित कार्रवाई को देखते हुए मॉक ड्रिल और ब्लैक आउट का रिहर्सल चल रहा है. ये अंधेरा उसी के तहत किया गया है. रविवार रात नौ से साढ़े नौ बजे के बीच आधे घंटे के लिए फ़िरोज़पुर छावनी में बिजली काट दी गई और सायरन बजने लगे. ये लोगों को किसी संभावित हमले की स्थिति में तैयार करने के लिए किया गया है. इसी तर्ज पर आज गृह मंत्रालय की ओर से कई राज्यों को निर्देश दिया गया. कहा गया कि वो 7 मई को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के लिए तैयार रहें ताकि संभावित हवाई हमले के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. छात्रों और नागरिकों को ये बताया जाएगा कि खुद कैसे बचें और दूसरों को कैसे बचाएं. मॉक ड्रिल के दौरान ब्लैक आउट रहेगा, हमले की चेतावनी वाले सायरन बजेंगे. 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है.
विद्रोही पाकिस्तान का सिर दर्द
उधर, भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को शह देने वाले पाकिस्तान में हालात खराब हैं. बलूचिस्तान, ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह से लेकर गिलगित बाल्टिस्तान तक विद्रोही उसके सिर दर्द बने हुए हैं. पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान के बड़े इलाके सूखे की चपेट में आने वाले हैं. और अर्थव्यव्स्था तो पूरी तरह चौपट है. ऐसे में मूडीज़ की एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत के साथ लंबे तनाव से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और बिगड़ जाएगी. उसे बाहर से पैसा मिलना मुश्किल हो जाएगा और उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ेगा जो पहले ही महज़ 15 अरब डॉलर रह गया है, जबकि भारत इस तनाव का असर झेल सकता है. उसके पास 688 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार और अर्थव्यव्स्था भी काफ़ी बेहतर है. पाकिस्तान के हुक्मरानों को शायद अपनी अर्थव्यवस्था के चौपट होने के ख़तरे का अहसास नहीं हो रहा.. उनका चोरी ऊपर से सीनाज़ोरी वाला रवैया क़ायम है. आतंकवाद को शह देना पाकिस्तान की नीति का हिस्सा रहा है.
परमाणु हथियारों का इस्तेमाल, फिर तबाही तय
पहलगाम आतंकी हमले के बाद अब जब भारत सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है तो उधर पाकिस्तान में ज़िम्मेदार ओहदों पर बैठे नेताओं की ओर से भड़काऊ बयानों का सिलसिला थम नहीं रहा. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री समेत कई मंत्री पहले ही आग में घी डालने में लगे थे कि रूस में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद ख़ालिद जमाली ने परंपरागत से लेकर परमाणु हथियारों तक सबके इस्तेमाल की धमकी दे दी. परमाणु हमले की धमकी, कोई छोटी धमकी नहीं है. ये बताती है कि पाकिस्तान परमाणु ताक़त के मामले में बड़ा ही ग़ैर ज़िम्मेदाराना रवैया अपना रहा है. परमाणु हथियारों को दरअसल deterrent माना जाता है, ताकि युद्ध न छिड़े और छिड़ भी जाए तो लंबा न खिंचे. क्योंकि अगर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होगा तो फिर तबाही तय है.
80 साल पहले हिरोशिमा, नागासाकी की तबाही दुनिया कभी भूल नहीं सकती. लेकिन पाकिस्तान का रवैया बता रहा है कि उसे इस तबाही का अहसास नही हो रहा. पाकिस्तान जब परमाणु धमकियां दे रहा है तो ये जानना ज़रूरी हो जाता है कि उसके पास परमाणु ताक़त आख़िर है कितनी. इस सिलसिले में पाकिस्तान की ओर से तो कभी आधिकारिक जानकारियां नहीं दी गईं लेकिन दुनिया के परमाणु वैज्ञानिक और विश्लेषक इसका अंदाज़ा लगाते रहे हैं.
इस सिलसिले में 11 सितंबर 2023 को Bulletin of the Atomic Scientists ने एक रिपोर्ट छापी. इस रिपोर्ट का शीर्षक था. ‘2023 Pakistan Nuclear Handbook’. अलग-अलग स्रोतों और सैटलाइट तस्वीरों पर आधारित इस रिपोर्ट में ये आकलन लगाया गया है कि 2023 में पाकिस्तान के पास क़रीब 170 परमाणु हथियार थे. Federation of American Scientists के Nuclear Information Project से जुड़े रिसर्चर्स Hans M. Kristensen, Matt Korda और Eliana Johns ने इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए पाकिस्तान की सेना की छावनियों और एयरफोर्स बेस की उपग्रहों से ली गई तस्वीरों का विश्लेषण किया जिससे ये साफ़ हुआ कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का ज़खीरा बढ़ा रहा है, उन्हें गिराने से जुड़े सिस्टम्स जैसे मिसाइलों, लड़ाकू विमानों का उसने विस्तार किया है.
रिपोर्ट का आकलन ये था कि भारत और पाकिस्तान के पास लगभग एक बराबर परमाणु हथियार हैं. Federation of American Scientists (FAS) की ताज़ा रिपोर्ट का आकलन है कि भारत के पास इस समय क़रीब 180 परमाणु हथियार हैं. लेकिन भारत और पाकिस्तान की परमाणु रणनीति अलग है. पाकिस्तान की रणनीति में टैक्टिकल परमाणु बमों पर ज़ोर है जिन्हें युद्ध शुरू होते ही वो इस्तेमाल कर सकता है. रिपोर्ट में ये भी साफ़ है कि पाकिस्तान के परमाणु बमोें के पीछे चीन एक ताक़त है.
वहीं, भारत की रणनीति पाकिस्तान और चीन दोनों को देखते हुए तैयार की गई है. जिसमें ये स्पष्ट है कि भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. लेकिन भारत आत्मरक्षा में परमाणु हमले का बेहद ठोस जवाब देने के लिए ही अपनी परमाणु ताक़त का इस्तेमाल करेगा.. 2023 की इस रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया में परमाणु ख़तरा गहरा हुआ है और भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति के तौर पर लगातार तैयार हैं. दोनों ही देश संकट की स्थिति में परमाणु हथियारों के तुरंत इस्तेमाल के लिए डिलिवरी सिस्टम भी विकसित कर रहे हैं जैसे मिसाइल्स और लड़ाकू विमान वगैरह. इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का विस्तार से विश्लेषण किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के काहूटा और गडवाल में यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट हैं. इसका मतलब ये है कि यहां पर परमाणु हथियारों में इस्तेमाल किए जाने लायक यूरेनियम बनाया गया है. पाकिस्तान के इस नक्शे में आप देख सकते हैं कि काहूटा, वाह, नीलोर, फतेह जंग, चश्मा और खुशाब में परमाणु हथियारों में इस्तेमाल होने वाली रेडियोएक्टिव सामग्री यानी fissile material के उत्पादन का काम चल रहा है.
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि पाकिस्तान ने अपने पंजाब प्रांत में खुशाब न्यूक्लियर कॉम्प्लेक्स में चार हेवी वॉटर प्लूटोनियम प्रोडक्शन रिएक्टर्स बनाए हैं. इसका मतलब ये है कि खुशाब न्यूक्लियर कॉम्प्लेक्स में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के लिए प्लूटोनियम तैयार किया जाता है. इसके अलावा इस्लामाबाद के पश्चिम में काला चिट्टा दार की पहाड़ियों में फ़तेह जंग के पास नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स में पाकिस्तान परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलों और उनके मोबाइल लॉन्चर्स के विकास की फैसिलिटी का तेज़ी से विस्तार कर रहा है. इसके लिए road-mobile transporter erector launchers यानी TELs को तैनात किया गया है. transporter erector launchers को मिसाइलों को लाने-ले जाने और फिर उन्हें दागने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. उपग्रह की तस्वीरों से साफ़ हुआ इस जगह पर लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों से जुड़ी TEL की चैसिस दिख रही थीं. जून 2023 की उपग्रहों की तस्वीरों में पाकिस्तान की नस्र, शाहीन और बाबर मिसाइलों के लिए ये TEL फ्रेमवर्क साफ़ दिख रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक तरनावा और तक्षशिला इलाकों में मिसाइल लॉन्चर को विकसित करने की फ़ैसिलिटी तैयार की गई हैं.
परमाणु हथियारों के उत्पादन को लेकर सार्वजनिक जानकारी बहुत ही कम है लेकिन जानकार मानते हैं कि इस्लामाबाद के उत्तर पश्चिम में वाह इलाके के क़रीब पाकिस्तान की ऑर्डनेंस फैक्टरियों में ये काम चल रहा है. एक सवाल ये भी है कि परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम विमानों के सिलसिले में पाकिस्तान की क्या तैयारी है.
Bulletin of the Atomic Scientists की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के वो विमान जो परमाणु हथियारों को ले जाने में सबसे ज़्यादा सक्षम हो सकते हैं वो हैं मिराज 3 और मिराज 5 फाइटर स्क्वॉड्रन्स. पाकिस्तान एयर फोर्स के मिराज फाइटर बॉम्बरम दो एयर बेस पर तैनात हैं. मसरूर एयर और रफ़ीक़ी एयर बेस. कराची के क़रीब मसरूर एयर बेस पाकिस्तान की तीन मिराज स्क्वॉड्रग्स का घर है. रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि यहीं से क़रीब पांच किलोमीटर उत्तर पश्चिम में भारी सुरक्षा के बीच अंडरग्राउंड फैसिलिटी में परमाणु हथियारों को रखा गया है.
पाकिस्तान के मिराज लड़ाकू विमानों का दूसरा बेस है रफ़ीक़ी एयर बेस जो शोरकोट के क़रीब है. यहां मिराज की दो स्क्वॉड्रन तैनात हैं. इसके अलावा पाकिस्तान के पास चीन में बने JF-17 लड़ाकू विमान भी हैं. हालांकि, पाकिस्तान के पास अमेरिका से ख़रीदे गए F-16 लड़ाकू विमान भी हैं. लेकिन अमेरिका के साथ समझौते के तहत उन्हें वो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम नहीं बना सकता. हालांकि, कई रिपोर्ट बताती हैं कि पाकिस्तान ने संभवत: F-16 A/B लड़ाकू विमानों में ऐसे कुछ बदलाव किए हैं. F-16 विमान मुशाफ़ एयरबेस जिसे पहले सरगोधा एयर बेस कहा जाता था वहां तैनात हैं. ये लाहौर से क़रीब 160 किलोमीटर उत्तर पूर्व में है. लेकिन इस बेस में वो न्यूक्लियर ग्रैविटी बॉम्ब नहीं रखे गए हैं जिन्हें पाकिस्तान इस्तेमाल कर सकता है. ये बम संभवत: इस बेस से 10 किलोमीटर दूर सरगोधा वेपन्स स्टोरेज कॉम्प्लेक्स में भारी सुरक्षा में रखे गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक नए F-16C/D विमानों को शाहबाज़ एयर बेस पर तैनात किया गया है जो उत्तरी पाकिस्तान में जैकबाबाद के क़रीब है. कुछ F-16 विमान इस्लामाबाद के उत्तर पश्चिम में मिन्हास एयरबेस पर भी देखे गए थे. और अब बात करते हैं उन मिसाइल सिस्टम्स की जिनका विकास पाकिस्तान ने मुख्य तौर पर भारत को ध्यान में रखकर किया है. Bulletin of the Atomic Scientists की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास परमाणु क्षमता से जुड़े छह ऑपरेशनल ballistic missile systems हैं जो सॉलि़ड फ्यूल पर चलती हैं. ये हैं शॉर्ट रेंज अब्दाली यानी हत्फ़ 2, ग़ज़नवी – हत्फ़ 3, शाहीन-1 A यानी हत्फ़ 4 और नस्र यानी हत्फ़ 9. इसके अलावा मध्यम दूरी तक मार करने वाली ग़ौरी – हत्फ़ 5 और शाहीन 2 – हत्फ़ 6 मिसाइल पाकिस्तान ने विकसित की हैं. पाकिस्तान इसके अलावा परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम दो अन्य बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम विकसित कर रहा है.
Bulletin of the Atomic Scientists की रिपोर्ट के मुताबिक इन मिसाइलों को रखने के लिए पाकिस्तान ने कम से कम पांच मिसाइल बेस बनाए हैं. ये हैं खुज़दार गैरिसन, सरगोधा गैरिसन, पानो अक़ील गैरिसन, आर्को गैरिसन और गुजरांवाला गैरिसन. उपग्रह की तस्वीरें बता रही हैं कि इन मिसाइल बेस में अलग अलग मिसाइलों के रखे जाने के सबूत साफ़ दिख रहे हैं. इन मिसाइलों को यहां काफ़ी सुरक्षित तरीके से भूमिगत रखा गया है. इसके अलावा इन मिसाइलों को लाने ले जाने के लिए यहां TELs यानी transporter erector launchers भी कई जगह बिलकुल साफ दिख रहे हैं. इनसे जुडे़ गैराज और मेंटीनेंस गैराज भी दिख रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ऐसी क्रूज़ मिसाइलों को बनाने पर भी काम कर रहा है जिन्हें जमीन के साथ-साथ समुद्र में जहाज़ों से भी छोड़ा जा सके. इनमें बाबर – हत्फ़ 7 शामिल है. पाकिस्तान सरकार का दावा है कि बाबर में स्टेल्थ क्षमता है यानी उसका पता नहीं लगाया जा सकता. वो जमीन के काफी करीब उड़ने वाली काफ़ी फुर्तीली मिसाइल है जो सटीक मार कर सकती है. ये रिपोर्ट सितंबर 2023 की है. उसके बाद से पाकिस्तानी की परमाणु क्षमता को लेकर कोई बड़ी रिपोर्ट सामने नहीं आई है. लेकिन ये रिपोर्ट बता रही है कि परमाणु हथियार बनाे को लेकर पाकिस्तान कितना बेचैन रहा है.
वैसे आपको बता दें कि पाकिस्तान ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 28 मई 1998 में भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण के जवाब में किया था. तब चगाई 1 नाम से पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत की चगाई पहाड़ियों में छह भूमिगत परमाणु परीक्षण किए थे. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि इन पहाड़ियों के नीचे हुए उस परमाणु परीक्षण से पहाड़ी का रंग ही बदल गया और उससे पहाड़ी पर धूल के बादल ऊंचे उठ गए. तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ थे जिनके भाई शहबाज़ शरीफ़ इस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं… इस परमाणु परीक्षण के साथ ही पाकिस्तान दुनिया की सातवीं परमाणु शक्ति बन गया और पहला मुस्लिम देश बना जिसके पास परमाणु हथियार थे. ये अलग बात है कि जहां भारत का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह देश में विकसित था वहीं पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम दुनिया भर से चोरी की गई तकनीक पर आधारित था. दुनिया भर की तमाम खोजी रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती हैं.
जबकि भारत ने देश में विकसित तकनीक के आधार पर पहला परमाणु परीक्षण 1974 में पोकरण में कर दिया था… तब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं. इसके 24 साल बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 11 और 13 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोकरण में पांच परमाणु परीक्षण और किए और दुनिया में एक बड़ी परमाणु ताक़त के तौर पर स्थापित हो गया. ख़ास बात ये है कि भारत के इस ऑपरेशन जिसे ऑपरेशन शक्ति नाम दिया गया उसकी भनक दुनिया को लग नहीं पाई. परमाणु परीक्षणों के बाद ख़ुद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने इन कामयाब परीक्षणों का एलान किया था
पोकरण में भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण के बाद पाकिस्तान ने आनन फ़ानन में अपनी शक्ति दिखाने के लिए चगाई में परमाणु परीक्षण किया. पाकिस्तान के चोरी छुपे चले परमाणु कार्यक्रम के लिए तकनीक को चोरी से हासिल करने का काम किया था उनके परमाणु वैज्ञानिक डॉ अब्दुल क़ादिर ख़ान ने. अब्दुल क़ादिर ख़ान को 2004 में पाकिस्तान की सरकार ने गिरफ़्तार कर लिया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया के साथ ग़ैर क़ानूनी तौर पर परमाणु तकनीक साझा की. 2009 में सरकार के साथ एक गोपनीय समझौते के बाद उन्हें हाउस अरेस्ट से रिहा किया गाय. 2021 में कोविड से अब्दुल क़ादिर ख़ान की मौत हो गई. अब्दुल क़ादिर ख़ान को ही पाकिस्तान में परमाणु बम का जनक माना जाता है.
तो चोरी, तस्करी से हासिल की गई तक़नीक के दम पर पाकिस्तान एक परमाणु ताक़त बना हुआ है. लेकिन ऐसी ताक़त के साथ जो ज़िम्मेदारी होनी चाहिए, वो उसके व्यवहार में दिखती ही नहीं. देखना है आने वाले दिनों में उसका ये ग़ैर ज़िम्मेदाराना व्यवहार उसे किस ओर धकेलता है.