Operation Sindoor indian armed forces might used brahmos missile for strikes in pakistan pahalgam terror attack ann
India Strikes in Pakistan Brahmos: भारत ने पाकिस्तान और PAK के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) में बुधवार (7 मई,2025) को 9 आतंकी ठिकानों पर जोरदार और सटीक एयर स्ट्राइक की. इस हमले में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं, लेकिन इस दौरान पाकिस्तान में किसी भी रिहायशी इलाके या सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया. केंद्र सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों की इस कार्रवाई को संतुलित और सटीक बताया. हालांकि, रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय नौसेना के रिटार्यड कोमोडोर रंजीत बी. राय ने इस कार्रवाई में ब्रह्मोस मिसाइल के इस्तेमाल होने की बात कही है.
रक्षा विशेषज्ञ और रिटार्यड कोमोडोर रंजीत बी. राय ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा कि यह एक परफेक्ट ऑपरेशन था. इससे पहले भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं आर्मी, नौसेना और वायु सेना ने अभ्यास किया था. उन्होंने कहा कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों के पास ब्रह्मोस मिसाइल है, जिसकी रेंज 700 किलोमीटर तक है और ब्रह्मोस का यह रिकॉर्ड है कि वह आज तक कभी भी फेल नहीं हुआ.
सभी मिसाइलों ने अपने लक्ष्य को पूरा किया- रक्षा विशेषज्ञ
उन्होंने कहा कि भारत के पास राफेल के बाद स्कैल्प मिसाइल है, वह भी लैंड अटैक है और हैमर भी लैंड अटैक है. उन्होंने कहा कि सरकार ने फिलहाल पूरी जानकारी नहीं बताई है, लेकिन सभी जानते हैं कि हमारी इन्वेंटरी में ये मिसाइलें हैं और ऐसा लग रहा है कि ब्रह्मोस, स्कैल्प और हैमर और ड्रोन हमारी तरफ से चलाए गए हैं और यह सभी हथियार हमारे पास हैं. उन्होंने कहा कि यह सभी हथियार बहुत सोच-समझकर चलाए गए हैं, क्योंकि सभी मिसाइल अपने टारगेट पर लगे हैं. इसमें कोई सिविलियंट टारगेट नहीं थे, सिर्फ आतंकी लक्ष्य को निशाना बनाया गया.
जल, थल और वायु, तीनों सेनाओं के पास है ब्रह्मोस मिसाइल
रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल जल, थल और वायु, तीनों सेनाओं के पास है. भारतीय नौसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल को INS राजपूत पर इंस्टॉल किया है. उन्होंने कहा कि नौसेना ने इसका परीक्षण पानी में किया है, थल सेना ने राजस्थान के पोखरण रेंज में इसका टेस्ट करती है और वायुसेना ने ब्रह्मोस को थोड़ा हल्का करके S-30 में लगा है.
रूस और भारत ने मिलकर तैयार किया है ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल
रिटार्यड कोमोडोर रंजीत बी. राय ने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने साथ मिलकर तैयार किया है. इसका नाम भारत की ‘ब्रह्मपुत्र नदी’ और रूस के ‘मॉस्को’ को जोड़कर ‘ब्रह्मोस’ रखा गया है. इसमें भारत की कंपनी की भागीदारी 51 प्रतिशत है और रूस की कंपनी की 49 प्रतिशत भागीदारी है. इसके लिए मैनेजिंग डायरेक्टर भारत का होता है और नंबर 2 पर जो अधिकारी होता है वह रूस का होता है.
उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे ब्रह्मोस मिसाइल के सभी पार्ट भारत में बन रहे हैं, लेकिन इसका सिर्फ एक हिस्सा, जिसे रैमजेट कहा जाता है, भारत में अब तक नहीं बना है. रिटायर्ड कोमोडोर ने कहा कि भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल को फिलिपींस को भेजा है और अब इंडोनेशिया भी इसकी मांग कर रहा है.
750 किलोमीटर तक है ब्रह्मोस की रेंज
रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि शुरुआत में ब्रह्मोस की रेंज एक इंटरनेशनल ट्रीट्री के मुताबिक, 350 किलोमीटर थी, लेकिन अमेरिका की मदद से भारत ने ट्रीटी साइन की और इसके बाद भारत लंबी रेंज की मिसाइलें बना सकता था. जिसके बाद ब्रह्मोस मिसाइल को अपग्रेड कर इसे 750 किलोमीटर से ज्यादा रेंज दी गई.