CM Omar Abdullah on Pahalgam attack given Pakistan an opportunity to raise Kashmir issue on international platform
Omar Abdullah On Jammu Kashmir: पहलगाम अटैक के करीब 20 दिन बाद बॉर्डर पर पहली बार शांति आई है. आर्मी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि पाकिस्तान की ओर से रात में फायरिंग नहीं हुई है. इस बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि यह हमला न केवल कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार गया है, बल्कि उसने भारत की कूटनीतिक स्थिति को भी नुकसान पहुंचाया है.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि घाटी एक बार फिर उस दौर में पहुंच गई है जहां खून-खराबे और उथल-पुथल ने वातावरण को घेर लिया है. उन्होंने बताया, “जहां आज पर्यटकों की भीड़ होनी चाहिए थी, वहीं अब घाटी खाली, स्कूल बंद, और हवाई क्षेत्र निष्क्रिय हैं. NDTV से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीर के पर्यटन उद्योग ने लंबे समय बाद सुधार की ओर कदम बढ़ाया था, लेकिन यह हमला उस प्रगति को एक झटके में खत्म कर गया. इस नरसंहार में 25 पर्यटक और एक स्थानीय टट्टूवाला मारा गया, जिसने पर्यटकों को बचाने की कोशिश की थी.
पाकिस्तान को मिला अंतरराष्ट्रीय मुद्दा उठाने का मौका
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस हमले के बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के सवाल को अंतरराष्ट्रीय रंग देने में सफलता पा ली है. उन्होंने अमेरिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि, “वो खुद को मध्यस्थ बनाना चाहता है और उसने संघर्ष विराम की घोषणा तक कर दी.
संघर्ष विराम टूटा, फिर बढ़ा तनाव
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संघर्ष विराम तोड़ दिया और सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू कर दिए. इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की मंशा अभी भी संदिग्ध बनी हुई है. उमर अब्दुल्ला ने याद दिलाया कि तीन हफ्ते पहले तक कश्मीर में शांति थी, पर्यटक आ रहे थे और पहलगाम जीवंत था. लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का जवाब
पहलगाम हमले के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की. इसके जवाब में पाकिस्तान ने तोपों, ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया. मगर भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई इतनी जबरदस्त थी कि पाकिस्तान को अपने एयरबेस बंद करने और घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा.
क्या अब भी कुछ नहीं बदला?
उमर अब्दुल्ला का बयान इस विडंबना को दर्शाता है कि कश्मीर बार-बार एक ही चक्र में फंसता जा रहा है. उन्होंने कहा, “कुछ मायनों में बहुत कुछ बदल गया है… और फिर भी कुछ भी नहीं बदला है.” इस कथन से वह यह स्पष्ट करना चाह रहे थे कि राजनीति, कूटनीति और जमीनी हालात हर बार एक नई शुरुआत की उम्मीद जगाते हैं, लेकिन अंत में वही दुख और हिंसा लौट आती है.