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Sirohi State minister reprimanded Instructions for strict action against doctors who were absent during disaster ann


Sirohi News: पंचायती राज राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने कहा कि आपदा के दौरान आपातकालीन सेवाओं से जुड़े अधिकारियों की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया गया है. उन्होंने जिला कलक्टर अल्पा चौधरी को निर्देश दिए कि ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

जिला अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों के मेडिकल अवकाश पर जाने के मामले में राज्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस तरह की लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. जब देशभर में सभी को अलर्ट मोड पर रखा गया है, उस समय यदि चिकित्सक कार्यस्थल पर नहीं लौटते हैं, तो आपातकालीन व्यवस्था कैसे सुचारू रूप से चल सकेगी?

बैठक के दौरान पता चला प्रमुख चिकित्सा अधिकारी थे अनुपस्थित
राज्यमंत्री शुक्रवार (16 मई) को आत्मा सभागार में जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक ले रहे थे. बैठक के दौरान जब उन्होंने चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृति से संबंधित जानकारी मांगी, तो यह सामने आया कि प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (PMO) भी बैठक में अनुपस्थित थे.

इस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. दिनेश खराड़ी ने बताया कि संबंधित मामले में पीएमओ की ओर से कार्रवाई की जा चुकी है तथा आवश्यक दस्तावेज उच्चाधिकारियों को भेजे जा चुके हैं.

फिर भी काम पर नहीं लौटे चिकित्सक
उल्लेखनीय है कि भारत-पाक तनाव की स्थिति को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने सभी कर्मचारियों के अवकाश पर रोक लगाते हुए अलर्ट मोड में रहने के आदेश जारी किए थे. इसके बावजूद जिला अस्पताल में लंबे समय से अनुपस्थित छह चिकित्सक अब तक काम पर नहीं लौटे हैं. प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इनके विरुद्ध विभाग को रिपोर्ट भेजी गई है.

मेडिकल बोर्ड से जांच के आदेश
पीएमओ डॉ. वीरेंद्र महात्मा ने बताया कि डॉ. धनराज चौधरी 2 मई से 15 दिन के मेडिकल अवकाश पर हैं. वहीं, डॉ. प्रदीप चौहान व डॉ. उषा चौहान पहले से अवकाश पर थे, लेकिन आपात स्थिति को देखते हुए अवकाश रद्द किए जाने के बावजूद उन्होंने 6 मई से 22 दिन की मेडिकल लीव डाल दी. इन चिकित्सकों के अवकाश की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं.

मेडिकल लीव या विदेश यात्रा?
बैठक के दौरान कुछ अधिकारियों ने आपसी बातचीत में संदेह जताया कि दो चिकित्सक मेडिकल लीव लेकर विदेश यात्रा पर गए हैं. यह बात कितनी सही है, यह तो जांच का विषय है, लेकिन यदि चिकित्सक मेडिकल लीव पर हैं, तो उन्हें किसी चिकित्सकीय उपचार में संलग्न होना चाहिए. ऐसे में संबंधित जिले से मेडिकल बोर्ड गठित कर तत्काल रिपोर्ट मंगवाना आवश्यक है. यदि मेडिकल अवकाश के बहाने विदेश यात्रा की पुष्टि होती है, तो केवल चिकित्सकों ही नहीं, जांच को लीपापोती की दिशा में मोड़ने वाले अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

गणपतसिंह मांडोली की रिपोर्ट.



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