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उत्तराखंड : क्यों गर्मी में आ रही आंधी-बारिश? आखिर मौसम की मेहरबानी की क्या है वजह



मौसम में बदलाव के कारण दिल्ली और उत्तराखंड में गर्मी कम हो गई है और बारिश व तेज हवाओं ने दस्तक दी है. हालांकि लोगों को गर्मी से राहत मिली है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव आने वाले भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. मौसम में बदलाव के कारणों में साइक्लोनिक सर्कुलेशन और नमी की अधिकता शामिल हो सकती है. दिल्ली, नोएडा और उत्तरकाशी में बारिश और आंधी ने भारी तबाही मचाई है, जबकि मानसून अभी तक नहीं आया है. भारतीय मौसम विभाग ने 27 मई को मानसून आने की भविष्यवाणी की है, लेकिन गर्मियों के महीने में ही बारिश और तेज हवाएं चलने से ऐसा लग रहा है कि मानसून पहले ही आ चुका है.

मई का महीना आमतौर पर भीषण गर्मी के लिए जाना जाता है. लेकिन इस साल तापमान 35 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहा है, जो पिछले सालों से काफी अलग है. पिछले साल मई में तापमान अक्सर 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता था. उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निर्देशक विक्रम सिंह के अनुसार, उत्तराखंड में मई में 65% अधिक बारिश दर्ज की गई है. मौसम विभाग का अनुमान है कि 30 मई तक देश में बारिश का सिलसिला जारी रहेगा.

उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निर्देशक विक्रम सिंह ने बताया है कि 30 मई तक राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है, और हल्की से मध्यम बारिश का दौर जारी रहेगा. इसके अलावा, तेज हवाओं के साथ ओलावृष्टि और गरज के साथ पानी की बौछार भी हो सकती है. हालांकि, तापमान में ज्यादा वृद्धि की संभावना नहीं है.

इस बारिश से किसानों को राहत मिली है, लेकिन तेज हवाओं ने मैदानी क्षेत्रों में बागवानी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. किसानों को अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है. मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है, जिसमें लोगों को सतर्क रहने की अपील की गई है.

पर्यावरण विद् और प्रोफेसर एसपी सती ने बताया है कि मौसमी चक्र में लगातार बदलाव आ रहे हैं, जिसके कारण मई के महीने में बारिश और तेज हवाएं चल रही हैं. उन्होंने कहा कि 20 साल पहले मौसम की स्थिति अलग थी. लेकिन अब पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम में बदलाव आ रहा है. पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से मई के महीने में बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाएं चल रही हैं. प्रोफेसर सती ने कहा कि यह बदलाव पर्यावरण के लिए चिंताजनक है और इसके कारणों को समझने की आवश्यकता है.





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