Will Tej Pratap Yadav Contest Election from Hasanpur Seat in 2025 Know About Contender from RJD ANN
Tej Pratap Yadav: गर्लफ्रेंड अनुष्का यादव (Girlfriend Anushka Yadav) के साथ सार्वजनिक हुए मामलों के बाद लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने अपने बेटे तेज प्रताप को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है. तेज प्रताप यादव हसनपुर सीट से विधायक हैं. अब पार्टी से निकाले जाने के बाद सवाल उठने लगा है 2025 के विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप यादव को इस सीट से पार्टी नहीं उतारेगी तो आरजेडी से अब इसका दावेदार कौन होगा?
सबसे पहले यह समझिए कि तेज प्रताप यादव को विरासत में राजनीति मिली है और यही कारण है कि पहली बार जब 2015 में वो महुआ से लड़े तो 28,155 वोटों से जीत गए. 2020 में पार्टी ने उन्हें समस्तीपुर जिले की हसनपुर विधानसभा सीट से उतारा. यहां से भी वह 21,009 वोटों से जीत गए. अब जब वे पार्टी से निकाले जा चुके हैं तो यह लगभग तय माना जा रहा है कि 2025 में लालू यादव अपने बेटे को मौका नहीं देने वाले हैं.
…तो क्या विभा देवी को मिलेगा मौका?
इस सीट (हसनपुर) से दावेदार को समझने के लिए एक स्थानीय वरिष्ट पत्रकार से बातचीत की गई. उन्होंने कहा कि तेज प्रताप यादव इस क्षेत्र के विधायक तो हैं, लेकिन इलाके में बहुत कम आते हैं. इस क्षेत्र की पूरी जिम्मेदारी स्थानीय आरजेडी नेता विभा देवी के हाथों में है. वह विधायक प्रतिनिधि हैं. विभा देवी पूर्व प्रमुख भी रही हैं. उनके पति अशोक यादव दबंग प्रवृत्ति के हैं. पूरे विधानसभा क्षेत्र में अशोक यादव की तूती बोलती है. 10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास में इनका सीधे आना-जाना है. कहा जाता है कि तेज प्रताप यादव सिर्फ नाम के यहां से विधायक हैं. पूरा काम अशोक यादव देखते हैं. उनकी पत्नी देखती हैं. ऐसे में अब सवाल है कि क्या 2025 में इस सीट से विभा देवी दावेदार होंगी?
बता दें कि इस सीट से विपक्ष भी कमजोर नहीं है. 2015 के विधानसभा चुनाव में यह सीट सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू के खाते में गई थी. तब आरजेडी और जेडीयू ने साथ चुनाव लड़ा था. 2015 में यहां से जेडीयू के राज कुमार राय लगातार दूसरी बार जीतकर विधायक बने थे. इससे पहले 2010 में जेडीयू से राज कुमार राय ही चुनाव जीते थे.
उससे पहले फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में दोनों ही बार आरजेडी के सुनील कुमार पुष्पम जीते थे. 2000 के चुनाव में भी जेडीयू के टिकट पर जीतकर राज कुमार राय विधायक बने थे. इस सीट पर अब तक कुल 13 चुनाव हुए हैं. इनमें तीन बार जेडीयू, दो बार आरजेडी का कब्जा रहा है. जातीय समीकरण को देखें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा यादव और मुस्लिम वोटर्स का दबदबा है. पासवान और रविदास वोटर भी निर्णायक की भूमिका में हैं.
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