When Pakistani Fighter Jet Shot Down Gujarat Chief Minister Balwantrai Mehta Plane 60 Years Ago Know Details
Pakistani Fighter Jet Shot Down CM Plane: अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट गुरुवार (12 जून, 2025) को क्रैश हो गई. इस फ्लाइट में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी सवार थे और उनकी मौत हो गई. इसी तरह 60 साल पहले गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री की भी हवा में मौत हो गई थी लेकिन वो किसी प्लेन हादसे के कारण नहीं बल्कि पाकिस्तानी हमले की वजह से हुई.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी फाइटर जेट ने बलवंतराय के प्लेन को ये समझकर मार गिराया था कि वो सर्विलांस एयरक्राफ्ट है. ये बात है 1965 की जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध चरम पर था और 25 साल का पाकिस्तानी फ्लाइंग ऑफिसर कैस हुसैन फाइटर जेट से भुज और पूर्वी सिंध के ऊपर तनावपूर्ण स्थिति की नजर रख रहा था. उसने एक सिविलिन एयरक्राफ्ट देखते ही इसे उड़ाने की परमीशन मांगी और अनुमति मिलते ही इस पर गोलियां चला दीं.
जब पाकिस्तानी पायलट को लगा सदमा
दुश्मन के सर्विलांस ऑपरेशन को नाकाम करने और अपनी जीत का एहसास करते हुए, हुसैन कराची में अपने बेस पर लौट आया. कुछ घंटों बाद जब ऑल इंडिया रेडियो के शाम 7 बजे के बुलेटिन में यह घोषणा की गई कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता और सात नागरिकों को ले जा रहे विमान को पाकिस्तान ने मार गिराया है तो हुसैन को अपने ऊपर गर्व होने की जगह बुरी तरह से सदमा लगा. गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता, पायलट जहांगीर इंजीनियर और एक पत्रकार उन आठ लोगों में शामिल थे, जिनके बीचक्राफ्ट विमान को पाकिस्तानी लड़ाकू विमान ने मार गिराया था.
कब और कैसे हुआ प्लेन पर हमला
1965 के युद्ध के दौरान जब 22 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बिना शर्त युद्ध विराम का प्रस्ताव पारित किया तो भारत ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया. हालांकि, पाकिस्तान ने अपनी प्रतिक्रिया में देरी की और एक दिन बाद 23 सितंबर को इस पर सहमति जताई. शांति बहाल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बावजूद, आसमान में पाकिस्तानी फाइटर जेट घूमते रहे.
उसी दोपहर, गुजरात के सीएम बलवंतराय मेहता अपनी पत्नी सरोजबेन, तीन सहयोगियों और दो पत्रकारों के साथ कच्छ की खाड़ी के पास मीठापुर जा रहे थे. आठ सीटों वाले बीचक्राफ्ट विमान का संचालन राज्य सरकार के मुख्य पायलट और भारतीय वायुसेना के साथ-साथ रॉयल एयर फोर्स के अनुभवी जहांगीर इंजीनियर कर रहे थे. इन लोगों ने अहमदाबाद से उड़ान भरी, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वे खतरे की ओर बढ़ रहे हैं.
उधर, पाकिस्तान वायुसेना के फ्लाइंग ऑफिसर कैस हुसैन ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट बुखारी के साथ कराची के पास मौरीपुर एयरबेस से अमेरिका के एफ-86 सेबर लड़ाकू विमानों में उड़ान भरी थी. बुखारी को ईंधन की समस्या के कारण वापस लौटना पड़ा, जबकि हुसैन सीमा की ओर बढ़ गया. हुसैन को ग्राउंड कंट्रोल से रिपोर्ट मिली थी कि एक अज्ञात विमान पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र के पास उड़ रहा है. 20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ते हुए हुसैन को 3,000 फीट की ऊंचाई पर उतरने का निर्देश दिया गया, जो कि वही ऊंचाई थी जिस पर मेहता का बीचक्राफ्ट उड़ रहा था.
जैसे ही हुसैन करीब पहुंचे, उन्होंने भारतीय बीचक्राफ्ट को देखा. पाकिस्तानी ग्राउंड कंट्रोल ने उन्हें हमला करने का निर्देश दिया. बीचक्राफ्ट ने पाकिस्तानी सेबर को अपनी ओर आते हुए देखा और अपने पंख हिलाने शुरू कर दिए फिर ऊपर चढ़ने लगा, जो हवाई युद्ध में क्षमादान की सार्वभौमिक अपील थी. भारतीय विमान के संकट संकेत के बावजूद हुसैन ने गोली चलाई. उनकी पहली गोली विमान के बाएं पंख को चीरती हुई निकली और दूसरी गोली से दायां इंजन जल गया.
पाकिस्तानी पायलट ने बाद में बताई कहानी
कुछ ही देर बाद विमान कच्छ क्षेत्र में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सीएम मेहता सहित विमान में सवार सभी आठ लोग मारे गए. हुसैन ने बाद में याद करते हुए कहा, “गोलीबारी के बाद, मुझे उपलब्धि और संतुष्टि का अहसास हुआ कि मैंने अपना मिशन पूरा कर लिया है और किसी भी ऐसे टोही डेटा को नष्ट कर दिया है जो किसी नए युद्ध मोर्चे को खोलने के लिए एकत्र किया जा सकता था.”
हुसैन ने आगे कहा, “मैं कराची के मौरीपुर में उतरा, मेरे ईंधन टैंक पूरी तरह से सूखे थे और मेरे वरिष्ठों और अन्य स्क्वाड्रन सहयोगियों ने मेरा स्वागत किया. बाद में उस शाम, ऑल इंडिया रेडियो ने उन लोगों के नामों की घोषणा की, जिन्होंने उस विमान में अपनी जान गंवा दी थी.” तभी हुसैन को घटना की गंभीरता का पता चला, कि उसने एक मौजूदा भारतीय मुख्यमंत्री और अन्य नागरिकों को मार डाला था.
उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा कि उन्हें एक नागरिक विमान को मार गिराने का आदेश क्यों दिया गया था. स्पष्टीकरण में कहा गया कि विमान खतरनाक रूप से सीमा के करीब था और इस बात की आशंका थी कि भारत कच्छ के रण में दूसरा मोर्चा खोल सकता है. लगभग 46 साल बाद 2011 में रिटायर्ड कैस हुसैन ने एक पाकिस्तानी डिफेंस मैग्जीन में 1965 की घटना के बारे में एक लेख पढ़ा, जिसमें उनकी ओर से चलाई गई गोलियों से एक हाई-प्रोफाइल राजनेता सहित 8 नागरिक मारे गए थे.
हुसैन ने मांगी माफी
अतीत से दुखी होकर और मामले को सुलझाने की इच्छा से हुसैन ने पायलट जहांगीर इंजीनियर की बेटी फरीदा सिंह को मुंबई में ढूंढ निकाला और उसे एक ईमेल लिखकर माफी मांगी. ईमेल में हुसैन ने अपने किए पर दुख व्यक्त किया, लेकिन कहा कि वह युद्ध के समय में केवल आदेशों का पालन कर रहे थे.