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UP Police: उत्तर प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी पुलिस भर्ती परीक्षा को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में योगी सरकार को बड़ी सफलता मिली है. लाखों अभ्यर्थियों ने भाग लिया और कहीं से कोई बड़ी गड़बड़ी या अव्यवस्था की सूचना नहीं आई. इसके पीछे सरकार की सख्त निगरानी और सुनियोजित व्यवस्था का बड़ा योगदान रहा. परीक्षा में बायोमैट्रिक वेरीफिकेशन और फेशियल रिकॉग्निशन के बाद ही अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिया गया.

सरकार ने आरक्षी नागरिक पुलिस सीधी भर्ती 2024 की परीक्षा को नकलविहीन और पारदर्शी बनाने के लिए ऐसे सुरक्षा इंतजाम किए, जिनकी मिसाल कम ही देखने को मिलती है. हर परीक्षा केंद्र पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट तैनात किए गए थे. वहीं, केंद्रों पर अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार केंद्र पर्यवेक्षक के रूप में पुलिस उपाधीक्षक, इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की ड्यूटी लगाई गई थी.

कंट्रोल रूम से हुई थी निगरानी

डीजीपी राजीव कृष्णा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के हर जिले में जिलाधिकारी को जनपदीय पर्यवेक्षक बनाया गया था. जिलाधिकारियों ने केंद्र ड्यूटी, सेक्टर मजिस्ट्रेट और अन्य व्यवस्थाएं तय कीं. परीक्षा की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे और इनका लाइव फीड भर्ती बोर्ड मुख्यालय, जिला नियंत्रण कक्ष और राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम में लगातार देखा जा रहा था.

किसी भी तकनीकी चीटिंग को रोकने के लिए केंद्रों के बाहर जैमर लगाए गए थे, जो मोबाइल, ब्लूटूथ और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को निष्क्रिय कर देते हैं. सभी परीक्षार्थियों की एंट्री से पहले एचएचएमडी से चेकिंग, फिजिकल फ्रिस्किंग, बायोमैट्रिक फिंगरप्रिंट और फेशियल रिकॉग्निशन के जरिए सत्यापन हुआ. यदि किसी अभ्यर्थी की पहचान में संदेह हुआ तो आधार ऑथेंटिकेशन कराकर पुष्टि की गई.

परीक्षा में हर 12 अभ्यर्थियों पर एक अंतरीक्षक और अतिरिक्त सहायक अंतरीक्षक की तैनाती की गई थी. परीक्षा केंद्रों के संचालन में आधे कर्मचारी जिलाधिकारियों द्वारा और बाकी आधे प्रधानाचार्य (केंद्र व्यवस्थापक) द्वारा नियुक्त किए गए थे.

दोबारा परीक्षा कराना थी चुनौती

उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPBPB) द्वारा कराई जा रही यह भर्ती परीक्षा करीब 48,000 आरक्षियों की सीधी भर्ती के लिए आयोजित की गई थी, जिसे लेकर प्रदेशभर में युवाओं में भारी उत्साह है. इससे पहले फरवरी 2024 में पेपर लीक के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई थी, जिसके बाद दोबारा परीक्षा कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी. इस बार नकल और फर्जीवाड़ा रोकने के लिए तकनीक का भरपूर उपयोग किया गया.



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