Abuse of process Supreme Court dismisses woman plea against husband and in laws ANNA
Supreme Court on Dowry Case: गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपने अलग हुए पति और ससुराल वालों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने के आदेश को चुनौती दी थी। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि महिला के बयानों में असंगतता थी और शारीरिक हिंसा के कोई विशिष्ट आरोप नहीं थे. कोर्ट ने टिप्पणी की कि महिला की शिकायत और मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयानों में स्पष्टता की कमी थी, जिसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग माना गया.
महिला की शादी बिहार के एक पूर्व राज्यपाल के परिवार में हुई थी, और उसने अपने पति और ससुराल वालों पर क्रूरता का आरोप लगाया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अस्पष्ट और सामान्य आरोपों के आधार पर आपराधिक कार्यवाही को आगे बढ़ाना उचित नहीं है. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी याचिकाओं से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होता है, खासकर जब ठोस सबूतों का अभाव हो। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट झूठे या अस्पष्ट आरोपों पर सख्त रुख अपनाता है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद्द की थी आपराधिक कार्यवाही
सुप्रीम कोर्ट को महिला के आरोपों को पुष्ट करने वाला कोई सबूत नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने विपरीत रुख अपनाया था और मजिस्ट्रेट के समक्ष दी गई शिकायत और बयान में विसंगतियां हैं, जो हमें यह निष्कर्ष निकालने के लिए प्रेरित करती हैं कि कार्यवाही कोर्ट की प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग है, जैसा कि हाई कोर्ट ने माना है.’’
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी थी, क्योंकि अलग रह रहे पति और उसके माता-पिता ने अधीनस्थ कोर्ट के समन के खिलाफ कोर्ट का रुख किया था.
1961 की धारा-तीन और चार के तहत दर्ज किया
महिला का मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए (घरेलू हिंसा), 325 (जान-बूझकर गंभीर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा-तीन और चार के तहत दर्ज किया गया था. महिला की शादी 11 दिसंबर 2019 को हुई थी.
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