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AMU का 41 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा? नगर निगम और जिला प्रशासन ने कराया खाली



<p style="text-align: justify;"><strong>UP News: </strong>अलीगढ़ में एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई ने भू-स्वामित्व से जुड़े एक संवेदनशील विवाद को जन्म दे दिया है. नगर निगम और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने मिलकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की कब्जाधारी 41 बीघा जमीन को खाली करवा लिया है. यह जमीन नगला पटवारी भमोला क्षेत्र में स्थित है और इसकी अनुमानित बाजार कीमत 100 करोड़ रुपये से भी अधिक बताई जा रही है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">प्रशासन का दावा है कि यह भूमि नगर निगम की है और उस पर AMU ने अवैध रूप से वर्षों से कब्जा कर रखा था. प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची और कार्रवाई करते हुए पूरी जमीन को खाली करवाया. इसके बाद वहां नगर निगम का स्वामित्व बोर्ड भी लगा दिया गया.</p>
<p style="text-align: justify;">इस कार्रवाई का नेतृत्व सहायक नगर आयुक्त वीर सिंह और उपजिलाधिकारी (कोल) दिग्विजय सिंह ने किया. इनके साथ नगर निगम और पुलिस विभाग के कई अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे. नगर आयुक्त विनोद कुमार ने इस मौके पर साफ तौर पर कहा कि सरकारी संपत्तियों पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और भविष्य में भी ऐसी कार्रवाइयाँ जारी रहेंगी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>AMU पर अन्य जमीनों पर कब्ज़े का भी आरोप</strong></p>
<p style="text-align: justify;">नगर आयुक्त विनोद कुमार का कहना है कि AMU ने नगर निगम की और भी कई जमीनों पर कब्जा कर रखा है. इस मामले की जांच की जा रही है और जैसे-जैसे तथ्य सामने आएंगे, वैसे-वैसे उन जमीनों को भी मुक्त कराया जाएगा. इस कदम से प्रशासन ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि अब सरकारी जमीनों को बचाने के लिए कोई कोताही नहीं बरती जाएगी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>AMU का विरोध और अपना पक्ष</strong></p>
<p style="text-align: justify;">प्रशासन की इस सख्त कार्रवाई पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का भी जवाब सामने आया है. कई प्रयासों के बाद जब AMU के प्रॉपर्टी अधिकारी शकील अहमद से संपर्क किया गया, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह जमीन यूनिवर्सिटी की है और पिछले 80 वर्षों से इसका उपयोग यूनिवर्सिटी कर रही है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस जमीन पर AMU का राइडिंग क्लब संचालित है. शकील अहमद का कहना है कि प्रशासन ने इस जमीन को खाली कराने से पहले यूनिवर्सिटी से कोई संवाद नहीं किया. उन्हें इस संबंध में न कोई नोटिस दिया गया और न ही कोई सुनवाई का मौका. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह एक कानूनी मामला है और यूनिवर्सिटी इस पर उचित कार्रवाई करेगी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>80 साल पुराना इतिहास या अवैध कब्जा?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">यह विवाद केवल एक जमीन के टकराव से कहीं अधिक गहराई लिए हुए है. यदि AMU के दावे को सही माना जाए, तो यह जमीन उन्हें लगभग आठ दशक से मिली हुई है, जिस पर वर्षों से गतिविधियाँ चल रही थीं. वहीं, प्रशासन की दलील है कि यह हमेशा से नगर निगम की संपत्ति थी और अब उसे कब्जा मुक्त कराया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;">अब यह मामला केवल प्रशासनिक कार्रवाई तक सीमित नहीं रह गया है. जिस तरह से दोनों पक्षों की दलीलें एक-दूसरे से बिल्कुल उलट हैं, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में यह विवाद अदालत तक पहुँच सकता है. यदि AMU कोर्ट का रुख करता है, तो यह मामला वर्षों तक कानूनी पेच में उलझ सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>प्रशासन की सख्त नीति का संकेत</strong></p>
<p style="text-align: justify;">नगर निगम और जिला प्रशासन की यह कार्रवाई केवल एक जमीन तक सीमित नहीं है. इसके ज़रिए प्रशासन ने यह साफ संदेश दिया है कि सरकारी संपत्तियों पर किसी भी संस्थान या व्यक्ति का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह कितना ही बड़ा संस्थान क्यों न हो. इससे पहले भी अलीगढ़ में कई ऐसे छोटे-बड़े अतिक्रमण हटाए जा चुके हैं. स्थानीय राजनीति पर भी असर यह मामला अलीगढ़ में स्थानीय राजनीति का भी बड़ा मुद्दा बन सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">AMU एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है, जिसका एक बड़ा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है. ऐसे में उसके खिलाफ हुई यह कार्रवाई विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक हलकों में प्रतिक्रिया ला सकती है. अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन अगला कदम क्या उठाता है और क्या AMU कानूनी लड़ाई छेड़ता है. साथ ही यह भी देखा जाना बाकी है कि अन्य जिन जमीनों पर कब्जे के आरोप हैं, उनके खिलाफ भी प्रशासन कितना तत्पर होता है.</p>



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