Bihar assembly elections Election Commission of india taken 3 important steps to make electoral process more transparent ann
इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया को और आसान व पारदर्शी बनाने को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं. इसी कड़ी में केंद्रीय चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों को और ज्यादा सटीक और भरोसेमंद बनाने के लिए तीन नई पहल शुरू की है. इनका मकसद है कि मतदान की प्रक्रिया को लोगों के लिए आसान और भरोसेमंद बनाया जा सके.
केंद्रीय चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट को अपडेट करने और उसमें सुधार लाने के साथ-साथ मतदान प्रक्रिया को नागरिकों के लिए और आसन बनाने को ध्यान में रखते हुए 3 नई पहल की है. ये फैसले मार्च 2025 में हुई मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में लिए गए थे, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी मौजूद थे.
‘पहला फैसला मृत्यु पंजीकरण के डेटा से जुड़ा’
चुनाव आयोग की ओर से लिए गए तीन अहम फैसलों में पहला फैसला मृत्यु पंजीकरण के डेटा से जुड़ा हुआ है. इसके तहत अब चुनाव आयोग को पंजीयक जनरल ऑफ इंडिया से मृत लोगों का रिकॉर्ड सीधे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से मिलेगा. इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि चुनाव पंजीकरण अधिकारियों यानी ईआरओ को पंजीकृत मौतों के बारे में समय पर जानकारी मिल सके. इससे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) भी फॉर्म 7 के तहत औपचारिक अनुरोध का इंतजार किए बिना फील्ड विजिट के जरिये जानकारी को फिर से सत्यापित कर सकेंगे. इससे यह सुनिश्चित होगा कि मृतकों के नाम समय पर मतदाता सूची से हटाए जाएं.
‘मतदाता सूचना पर्ची के डिजाइन में बदलाव का फैसला’
इसके अलावा मतदाता सूचना पर्ची (वीआईएस) को और ज्यादा पारदर्शी व आसान बनाने के लिए चुनाव आयोग ने इसके डिजाइन में भी बदलाव करने का फैसला किया है. वोटर के सीरियल नंबर और पार्ट नंबर अब बड़े फॉन्ट में नजर आएंगे, जिससे कि मतदाताओं को अपने पोलिंग स्टेशन का पता लगाना और आसान हो जाएगा. साथ ही चुनाव अधिकारियों के लिए मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम को ढूंढ़ने का काम आसान हो जाएगा.
इन दोनों फैसलों के साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी सुनिश्चित करने का काम किया है कि ब्लॉक लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ को लोग आसानी से पहचान सकें. अब हर बीएलओ को एक मानक फोटो पहचान पत्र दिया जाएगा ताकि जब वे घर-घर जाकर मतदाताओं से मिलें तो लोग उन्हें आसानी से पहचान सकें और उनके साथ बिना किसी संशय के बातचीत कर सकें. चुनाव आयोग के मुताबिक ये तमाम कदम मतदाताओं में चुनावी प्रक्रिया को लेकर उनके विश्वास, पारदर्शिता और सहूलियत को बढ़ाने को लेकर उठाए गए हैं.
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