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CBI launched a major investigation 42 crore scam Found 2014 flood relief in Kashmir ann


श्रीनगर में बाढ़ पीड़ितों के लिए आए 42 करोड़, 

 

CBI Action In Kashmir: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने 2014 के कश्मीर बाढ़ राहत राशि के वितरण धोखाधड़ी का पता लगाया है. इसमें डिप्टी कमिश्नर कार्यालय श्रीनगर के वरिष्ठ अधिकारियों, राजस्व अधिकारियों और निजी दलालों से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. 

बाढ़ के बाद सरकार ने राहत के तौर पर हर प्रभावित कारोबारी को 50-50 हज़ार की अंतरिम राहत  और वास्तविक नुकसान के आंकलन के बाद लाखों का मुआवज़ा भी दिया था. हालांकि,  लेकिन अब यह बात सामने आई है कि सरकारी कर्मचारियों ने मिलीभगत करके सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया.

जांच में पता चला अधिकारियों का खेल 

जांच से पता चला है कि दो काल्पनिक समूहों- अल-फलाह दुकानदार संघ और बाढ़ प्रभावित समन्वय समिति श्रीनगर ने तहसील सेंट्रल शाल्टेंग के 1,503 तथाकथित व्यापारियों के लिए धोखाधड़ीपूर्ण राहत आवेदन दायर किए. ये आवेदन उचित हलफनामे या आधिकारिक सत्यापन के बिना पेश किए गए थे, जो सरकारी राहत दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन है.इसके बाद सीबीआई की श्रीनगर में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और रणबीर दंड संहिता के कड़े प्रावधानों के तहत औपचारिक रूप से FIR संख्या 04/2025 दर्ज की है, जिसमें धारा 5(1)(डी), 5(2), 13(1)(ए), 13(2), 420, 120-बी के साथ धारा 318 बीएनएस के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और सार्वजनिक कदाचार के आरोप शामिल हैं.

लाभार्थी सूचियों को बनाने की साजिश रची

आरोपियों ने कथित तौर पर लाभार्थी सूचियों को बनाने की साजिश रची, जिसमें कई नाम एक ही परिवार के थे, जिसका उद्देश्य वास्तविक बाढ़ पीड़ितों के लिए निर्धारित धन को हड़पना था. हकीकत में न होने के बावजूद, दोनों संघों ने भ्रष्ट अधिकारियों और स्थानीय दलालों की मदद से भुगतान के दावों  को आगे बढ़ाने में कामयाबी हासिल की. उत्तरी श्रीनगर के बाढ़ प्रभावित व्यापारियों के पक्ष में पिछले न्यायालय के आदेश का अनुचित लाभ उठाते हुए, षड्यंत्रकारियों ने कानूनी लाभ प्राप्त करने के लिए WP संख्या 786/2022 और WP संख्या 86/2024 याचिकाएं दायर की.  अधिकारियों की तरफ से भ्रामक प्रस्तुतियों के बाद, इन फर्जी लाभार्थियों को ₹13.79 करोड़ जारी किए गए. अतिरिक्त ₹12 लाख उन 24 याचिकाकर्ताओं को दिए गए जिन्होंने पहले न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. 1,503 दावेदारों में से प्रत्येक को ₹50,000 मिले. सभी को धोखाधड़ी की वजह से नुकसान हुआ था. इससे राज्य को ₹7.51 करोड़ से अधिक का सीधा नुकसान हुआ.

अधिवक्ता जहूर अहमद भट शक के घेरे में
अधिवक्ता जहूर अहमद भट, उन्होंने अदालत में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया था. वह भी जांच के घेरे में आ गए हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि उनके आठ करीबी परिवार के सदस्यों को धोखाधड़ी करने वाले लाभार्थियों में सूचीबद्ध किया गया था, जो साजिश में उनकी सक्रिय भागीदारी का संकेत देता है. सीबीआई के सूत्रों ने पुष्टि की कि डीसी कार्यालय और अधीनस्थ तहसीलों के लेखा अनुभाग ने ₹31.54 करोड़ से लेकर ₹42 करोड़ तक की बाढ़ राहत राशि कोषागार टंकीपोरा में जमा कर दी थी, जिनमें से कुछ को बाद में फर्जी दावों के माध्यम से पुनर्निर्देशित किया गया था. एजेंसी अब इस सुनियोजित धोखाधड़ी में शामिल सभी सरकारी अधिकारियों, निजी दलालों और लाभार्थियों की पहचान करने के लिए व्यापक जांच कर रही है.



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