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Chhattisgarh Ishika Bala secured top position in 10th board exam results by overcoming cancer


Chhattisgarh 10th Board Results: छत्तीसगढ़ में 10वीं की बोर्ड परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल करने करने वालीं इशिका बाला एक अद्वितीय योद्धा हैं. राज्य के कांकेर जिले की छात्रा इशिका ने पिछले दो वर्ष से रक्त कैंसर से जूझने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और अपने दृढ़ निश्चय से ना केवल बीमारी को हराया, बल्कि हाईस्कूल की परीक्षा में 98.17 प्रतिशत अंक अर्जित करके राज्य में शीर्ष स्थान हासिल किया.

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के पीवी (परालकोट गांव)-51 गांव के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वालीं इशिका ने तमाम मुश्किलों को पार करते हुए अपने सपनों को पूरा करने का जो सफर तय किया है, वह दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है. परालकोट गांव पखांजूर इलाके में पड़ता है, जहां तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए हिंदू बंगाली शरणार्थियों को बसाया गया था.

इशिका के परिवार के मुताबिक, हाल ही में उन्होंने कैंसर को मात दी है, लेकिन अगले दो-तीन वर्ष तक उन्हें निगरानी में रखा जाएगा. 17 वर्षीय इशिका आज जारी किए गए परीक्षा परिणाम से खुश हैं. उन्होंने बताया, ‘मैं आईएएस बनना चाहती हूं.’

जिले के गुंडाहुर गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा इशिका को नवंबर 2023 में रक्त कैंसर का पता चला था. तब वह 10वीं कक्षा में थी. पिछले साल वह अपनी बीमारी के कारण 10वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हो सकी थीं, क्योंकि उसका रायपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था.

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने आज 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा के परिणाम की घोषणा की. इशिका और जशपुर जिले के स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल के एक अन्य छात्र नमन कुमार खुंटिया ने 99.17 प्रतिशत अंक हासिल कर 10वीं की बोर्ड परीक्षा में संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान हासिल किया.

शीर्ष स्थान हासिल करने के बाद इशिका ने कहा, ‘मैं इंजीनियरिंग करना चाहती हूं, इसलिए अगली कक्षा में गणित विषय लूंगी. इसके बाद मैं संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी करूंगी क्योंकि मेरा सपना आईएएस अधिकारी बनना है.’

अपने इलाज के दौरान इशिका ने अपनी शैक्षणिक यात्रा जारी रखी. उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी मुझे लगता था कि मैं आगे नहीं पढ़ पाऊंगी. लेकिन मैंने हार नहीं मानी क्योंकि मुझे खुद पर भरोसा था. खुद पर भरोसा होना जरूरी है.’

उनके पिता शंकर बाला (47), जो एक किसान हैं, ने बताया कि इशिका का नवा रायपुर के बाल्को मेडिकल सेंटर में इलाज चल रहा है और हाल ही में उसके कैंसर से मुक्त होने की पुष्टि हुई है. हालांकि, संक्रमण से बचने के लिए उसे अगले दो-तीन वर्षों तक नियमित जांच करानी होगी.

शंकर बाला ने बताया कि इशिका पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर हैं. उन्होंने कहा, ‘उसने अपनी आत्मशक्ति और हिम्मत से कैंसर को हराया. पूरे परिवार ने उसके इलाज के दौरान उसकी देखभाल की और उसे पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया. उसकी दृढ़ता का फल उसे मिला और उसने बोर्ड परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया.’ आर्थिक तंगी का सामना करने के बावजूद, शंकर ने कहा कि वह अपने सभी बच्चों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करेंगे जिससे वह सफल करियर बना सकें.

 



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