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Delhi Heat stroke patients will be treated with immersion cooling technology at RML Hospital ANN


Delhi Heat Stroke Patients: गर्मी की वजह से बढ़ते तापमान में हीट स्ट्रोक के मामले भी बढ़ जाते हैं. दिल्ली के डॉ. आरएमएल अस्पताल के निदेशक और मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. (प्रो.) अजय शुक्ला ने गुरुवार (01 मई) को भारत के पहले अत्याधुनिक हीट स्ट्रोक यूनिट की शुरुआत की घोषणा की. यह नया हीट स्ट्रोक यूनिट खासतौर पर गंभीर हीट स्ट्रोक मरीजों के इलाज के लिए बनाया गया है और इसमें इमर्शन कूलिंग तकनीक का इस्तेमाल भी किया गया है, जो हीट स्ट्रोक के इलाज में सबसे बेहतर मानी जाती है.

गर्मी बढ़ने के साथ ही हीट स्ट्रोक के मामले भी बढ़ते जाते हैं और तापमान बढ़ने से हर दिन कई मरीज हीट स्ट्रोक का शिकार होते हैं और फिर अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचते हैं. ऐसे मरीजों के लिए अस्पतालों में खास यूनिट की सुविधा से मरीजों को सहूलियत मिलेगी और रिजर्व बेड्स की वजह से मरीजों के एडमिशन में भी आसानी होगी. 

इमर्शन कूलिंग तकनीक से हीट स्ट्रोक मरीजों का इलाज

राम मनोहर लोहिया अस्पताल में शुरू किया गया हीट स्ट्रोक यूनिट में खास इमर्शन कूलिंग तकनीक भी शुरू की गई है. इसमें 200–250 लीटर की क्षमता वाले दो इमर्शन कूलिंग टब,  200–250 किलो बर्फ बनाने वाला हाई-कैपेसिटी रेफ्रिजरेटर, दो क्रिटिकल केयर बेड, जो वेंटिलेटर और मॉनिटर से लैस हैं. 

RML के डॉक्टर्स ने क्या बताया?

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी मेडिसिन के एचओडी डॉ अमेलेंदु ने बताया कि क्लाइमेट चेंज और हर साल बढ़ते तापमान की वजह से पिछले साल राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने हीट स्ट्रोक यूनिट की तैयारी शुरू कर दी थी और यह यूनिट तैयार किया गया था. अगर कोई भी मरीज जो हीट स्ट्रोक से पीड़ित होगा और अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचेगा तो उसको तुरंत ही वहां से हीट स्ट्रोक यूनिट में लाया जाएगा.

खास बाथ टब लगाए गए

इस यूनिट में खास बाथ टब लगाए गए हैं. यह एक ऐसे टब होते हैं, जिसमें एक से डेढ़ मिनट के अंदर तेज पानी की रफ्तार से पानी भर जाता है. इसमें तकरीबन 50 किलो बर्फ की जरूरत होती है जो कि हीट स्ट्रोक यूनिट में ही मौजूद आइस मेकिंग मशीन तैयार करेगी. तब पानी और 50 किलो बर्फ भरने के बाद उसका तापमान तुरंत ही 1 से 5 डिग्री हो जाता है. 

हीट स्ट्रोक के मरीज के बॉडी के तापमान को नॉर्मल करने के लिए तुरंत ही उसके कपड़े हटाकर जो मॉनिटर लगा होता है उसके साथ बीपी और बाकी जो इक्विपमेंट होते हैं वह मरीज के लगाने के बाद उसे टब में उसको रखा जाता है और साथ ही मॉनिटरिंग होती रहती है. 

आईसीयू जैसी मॉनिटरिंग पेशेंट को बर्फ से भरी टब में रखने के बाद होती रहती है. डॉक्टर के मुताबिक हीट स्ट्रोक के पेशेंट के तापमान को नॉर्मल आने में 20 से 25 मिनट लगते हैं और साथ ही 80% पेशेंट्स को ऐसी कंडीशन में सांस की नली डल चुकी होती है. बॉडी का तापमान सामान्य होने के बाद पेशेंट को टब से हटाया जाता है और जरूरत पड़ने पर अगर वेंटीलेटर चाहिए होता है तो आईसीयू जैसे बेड्स और वेंटीलेटर का इंतजाम भी हीट स्ट्रोक यूनिट में किया गया है. 

मोबाइल हीट स्ट्रोक रिस्पॉन्स यूनिट भी शुरू

हीट स्ट्रोक के पेशेंट का इलाज करने के लिए अस्पताल में मोबाइल हीट स्ट्रोक रिस्पॉन्स यूनिट की भी शुरुआत की गई है, जिसमें फुलाने वाले कूलिंग टब, टारपॉलिन और आइस बॉक्स, ओआरएस घोल, ड्रिप और ज़रूरी दवाइयां रखी गई हैं. इसके साथ ही यह एंबुलेंस हीट से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को मौके पर ही इलाज देने के लिए तैयार की गई है.

आरएमएल अस्पताल के डायरेक्टर और एमएस डॉ. अजय शुक्ला ने कहा कि यह पहल मरीजों की सुरक्षा और समय पर इलाज सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, खासकर गर्मी के बढ़ते खतरे को देखते हुए.

 



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