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Delhi High Court On Juvenile Justice Boards ANN | दिल्ली के जूवेनाइल जस्टिस बोर्डों में न्याय की रफ्तार सुस्त, HC ने कहा


दिल्ली हाई कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्डों (JJBs) में मामलों के निपटारे में हो रही गंभीर देरी पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और बाल अधिकार आयोगों को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह मुद्दा बच्चों के अधिकारों और न्याय व्यवस्था दोनों के लिए बेहद अहम है.

अदालत ने अगली सुनवाई 24 सितंबर को निर्धारित की है और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह अपनी चिंताओं को अदालत की किशोर न्याय समिति के समक्ष प्रस्तुत करे.

RTI से हुआ खुलासा, दिल्ली में सिर्फ 7 JJB जबकि कानून कहता है 11 होने चाहिए
iProbono इंडिया लीगल सर्विसेज द्वारा दायर याचिका में बताया गया है कि दिल्ली में किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत निर्धारित समयसीमा का पालन नहीं हो रहा है. अधिनियम की धारा 14 के मुताबिक, किसी भी अपराध की जांच चार महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर दो महीने की और मोहलत दी जा सकती है. लेकिन RTI के ज़रिए प्राप्त आंकड़े चौंकाने वाले हैं. 

इनमें खुलासा हुआ है कि दिल्ली के जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड में न केवल मामलों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि उनका निपटारा भी बेहद धीमी गति से हो रहा है. एक और बड़ा खुलासा ये है कि दिल्ली में केवल 7 JJB हैं, जबकि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 4 के तहत 11 बोर्ड होने चाहिए.

बच्चों का जीवन अधर में लटका है – याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया है कि न्याय में हो रही देरी बच्चों के पुनर्वास और समाज में उनकी वापसी की प्रक्रिया को गहरा नुकसान पहुंचा रही है. इससे न केवल उनका भविष्य खतरे में पड़ता है, बल्कि यह कानून के मकसद को भी विफल करता है.

हाई कोर्ट ने की निगरानी व्यवस्था की सिफारिश
याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट और चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को यह निर्देश दे कि वे जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड में लंबित मामलों की नियमित निगरानी करें और उसकी रिपोर्ट अदालत में पेश करें.

नजरें अब 24 सितंबर पर
अब सबकी निगाहें 24 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां अदालत यह तय करेगी कि इस गंभीर मुद्दे पर किस तरह की ठोस कार्यवाही की जाए.



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