Delhi LG Vinai Saxena vs Medha Patkar case should be heard after May 20 Delhi High Court to Saket Court ann
Delhi High Court News: देश के सबसे लंबे समय से चल रहे मानहानि मामलों में से एक सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के बीच 24 साल पुराना विवाद एक बार फिर चर्चा में है. दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (16 अप्रैल) को ट्रायल कोर्ट को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि यह मामला अब 20 मई के बाद ही सुना जाएगा.
दरअसल, मेधा पाटकर ने साल 2000 में एलजी विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ उस समय मानहानि का केस दायर किया था, जब वह गुजरात स्थित एक एनजीओ ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ का नेतृत्व कर रहे थे. पाटकर का आरोप है कि सक्सेना ने उनके और ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के खिलाफ एक अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित करवाया था.
न्यायिक प्रक्रिया या रणनीति?
18 मार्च को ट्रायल कोर्ट ने पाटकर की उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने नंदिता नारायण को एक नए गवाह के रूप में पेश करने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को ऐसे हथकंडों का बंधक नहीं बनाया जा सकता. कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि 24 साल से लंबित मामले में सभी मूल गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है और अब नई गवाहों को पेश करने की अनुमति देना न्याय में अनावश्यक विलंब होगा.
इस फैसले के खिलाफ पाटकर ने हाईकोर्ट का रुख किया और ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की. उनके वकील का कहना था कि यदि ट्रायल कोर्ट में अंतिम बहस शुरू हो जाती है तो हाईकोर्ट में चल रही याचिका व्यर्थ हो जाएगी.
हाईकोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए साफ निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट की अगली सुनवाई 20 मई के बाद ही होनी चाहिए. वही तारीख जिस दिन हाईकोर्ट पाटकर की याचिका पर अंतिम फैसला सुनाएगा.
दोनों पक्षों के बीच पुरानी अदावत
यह मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि दो वैचारिक धाराओं की टकराहट का प्रतीक बन चुका है. मेधा पाटकर, जो दशकों से नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवाई कर रही हैं और वी.के. सक्सेना, जो उस समय सामाजिक कार्यकर्ता थे और आज दिल्ली के उपराज्यपाल हैं. दोनों के बीच यह लड़ाई अब संस्थानों की साख और न्याय की प्रक्रिया से जुड़ गई है. सक्सेना ने भी पाटकर के खिलाफ 2001 में दो मानहानि के मामले दायर किए थे. इनमें से एक मामले में, 1 जुलाई 2024 को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को पांच महीने की सजा भी सुनाई थी.