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Delhi People to pay user charge for garbage collection new system implemented ann


Delhi Latest News: दिल्ली में अब कूड़ा उठाना मुफ्त नहीं होगा. दिल्ली नगर निगम (MCD) ने 1 अप्रैल 2025 से कचरा प्रबंधन के लिए यूजर चार्ज लागू कर दिया है. यह शुल्क रिहायशी और व्यावसायिक संपत्तियों से वसूला जाएगा, जिसे संपत्ति कर के साथ जोड़ा गया है. ऑनलाइन टैक्स जमा करते समय अब दिल्लीवासियों को यूजर चार्ज भी देना होगा.

कितनी देनी होगी अवासीय संपत्ति पर शुल्क

  • 50 वर्ग मीटर तक के आवासीय मकानों से 50 रुपये/ महीना
  • 50 से 200 वर्ग मीटर के मकानों से 100 रुपये प्रति महीना
  • 200 वर्ग मीटर से बड़े मकानों से 200 रुपये प्रति महीना  

व्यावसायिक संपत्तियों पर शुल्क

  • दुकान, ढाबा, कॉफी हाउस: 500 रुपये प्रति महीना
  • गेस्ट हाउस, होस्टल, 50 लोगों की क्षमता वाले रेस्तरां, शादी हॉल, बैंक, पार्टी लॉन आदि: 2,000 रुपये प्रति महीना  

क्यों लागू हुआ यूजर चार्ज?

निगम अधिकारियों के मुताबिक, यह व्यवस्था ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) नियम 2016 के तहत लागू की गई है, जिसे केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 8 अप्रैल 2016 को अधिसूचित किया था. जनवरी 2018 में तत्कालीन AAP सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी की थी. इसके बाद 2019-2020 में तीनों पूर्ववर्ती निगमों (उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी) ने इसे मंजूरी दी. हाल ही में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन समिति की बैठक में भी इस पर सहमति बनी.

नगर निगम की मजबूरी

अधिकारियों का कहना है कि निगम पर 14,000 करोड़ रुपये की देनदारी है और कचरा प्रबंधन पर 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होता है. केंद्र सरकार से स्वच्छ भारत मिशन के तहत लैंडफिल साइट्स के जैव खनन के लिए बजट तभी मिलेगा, जब यूजर चार्ज लागू होगा. सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के दिशा-निर्देश भी इसकी निगरानी कर रहे हैं. 

मेयर और विपक्ष का विरोध

दिल्ली के मेयर महेश कुमार खींची, डिप्टी मेयर रविंद्र भारद्वाज और नेता सदन मुकेश गोयल ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है. मेयर ने कहा, “निगम आयुक्त ने बिना सदन की मंजूरी के यह शुल्क लागू कर दिया, जो गलत है.” नेता सदन मुकेश गोयल ने तंज कसते हुए कहा कि पहले कूड़ा उठाने की व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए. मध्य जोन सहित कई इलाकों में कूड़ा फैला पड़ा है, टेंडर खत्म होने के बाद भी नवीनीकरण नहीं हुआ. पहले ढांचा मजबूत करें, फिर चार्ज वसूलें.

क्या होगा असर?

दिल्लीवासियों पर अब अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. हालांकि, निगम का दावा है कि यह कचरा प्रबंधन को बेहतर करने और शहर को स्वच्छ रखने की दिशा में बड़ा कदम है. इंदौर जैसे शहरों में भी यह मॉडल सफलतापूर्वक चल रहा है. लेकिन, सवाल यह है कि क्या दिल्ली में मौजूदा ढांचे के साथ यह व्यवस्था कारगर होगी? 



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