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Delhi Police Anti Narcotics Squad busted large network of Bangladeshi infiltrators arrested ANN


Bangladeshi Infiltrators In Delhi: दिल्ली पुलिस की साउथ ईस्ट जिला एंटी नारकोटिक्स स्क्वाड (ANS) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए बांग्लादेशी घुसपैठियों के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. इस ऑपरेशन में कुल 47 बांग्लादेशी नागरिक और 05 भारतीय सहयोगी गिरफ्तार किए गए हैं. इस गिरोह का मास्टरमाइंड चांद मियां बताया जा रहा है, जो पिछले 10-12 वर्षों से इस धंधे में सक्रिय था. चांद मियां की निशानदेही पर 33 बांग्लादेशियों को चेन्नई से गिरफ्तार किया गया है.

12 मार्च 2025 को पुलिस को सूचना मिली कि एक बांग्लादेशी युवक असलम उर्फ मसोम उर्फ महमूद हाल ही में भारत में घुसा है और तैमूर नगर में छिपा हुआ है. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में असलम ने अपना पता नोआखली, बांग्लादेश बताया और उसके पास से एक फर्जी आधार कार्ड और बांग्लादेशी आईडी बरामद हुई.

नेटवर्क का सरगना चांद मियां गिरफ्तार

आरोपी असलम से पूछताछ में बड़े खुलासे हुए. इसके बाद पुलिस ने चांद मियां को गिरफ्तार किया, जो इस नेटवर्क का सरगना है. उसकी निशानदेही पर 33 बांग्लादेशी चेन्नई से पकड़े गए हैं. वहीं दिल्ली और चेन्नई पुलिस ने इस संबंध में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं.

फर्जी दस्तावेज बनाने वाले भारतीय एजेंट भी गिरफ्तार

पुलिस ने इस नेटवर्क से जुड़े 5 भारतीय एजेंटों को भी पकड़ा है, जो इन अवैध घुसपैठियों को फर्जी आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र बनाकर देते थे. ये लोग दिल्ली में साइबर कैफे और आधार सेवा केंद्र चला रहे थे. चांद मियां को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस पिछले 2 महीनों से बॉर्डर इलाके में सक्रिय थी. करीब 10 दिन पहले दिल्ली पुलिस को इसकी लोकेशन भुवनेश्वर में मिली थी. पुलिस जब भुवनेश्वर पहुंची तब तक चांद मियां विजयवाड़ा के लिए ट्रेन पकड़ चुका था और पुलिस ने इसकी गिरफ्तारी चलती ट्रेन से की.

क्या-क्या बरामद हुआ?

कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 11 फर्जी आधार कार्ड, बांग्लादेशी आईडी, एक लैपटॉप, चार हार्ड डिस्क, एक कलर प्रिंटर, फिंगरप्रिंट और आई स्कैनर, नकली जाति और जन्म प्रमाण पत्र, 9 मोबाइल फोन और 19,170 रुपये नकद बरामद किए हैं.

कैसे काम करता था नेटवर्क?

ये बांग्लादेशी नागरिक बांग्लादेश-भारत सीमा को स्थानीय दलालों की मदद से पार कर पहले असम और फिर दिल्ली पहुंचते थे. दिल्ली में इनके संपर्क में मौजूद एजेंट इन्हें फर्जी दस्तावेज़ बनाकर देते और कूड़ा बीनने और अन्य छोटे कामों में लगवा देते थे ताकि आसानी से छुपे रह सकें.

 



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