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Ground Report: फिर चर्चा में सिलक्यारा सुरंग, सालों की मेहनत के बाद खुला रास्ता; बौखनाग मंदिर में भी हुई प्राण प्रतिष्ठा



उत्तरकाशी (उत्तराखंड):

आपको नवंबर 2023 के वो दिन याद ही होंगे, जब उत्तरकाशी के सिलक्यारा में बन रही एक सुरंग ढह गई थी और 41 मजदूर उसमें कई दिन फंसे रहे. उनको बचाने की मुहिम कई दिन चली. देश और दुनिया से मशीनें मंगाई गईं. उन्हें आखिरकार बचा लिया गया था. अब डेढ़ साल बाद वो सुरंग लगभग बनकर तैयार है.

12 नवंबर 2023 को ढ़ह गई इस सुरंग में 41 सांसें 17 दिन तक फंसी रही. उनके साथ पूरे देश की सांसें अटकी रहीं, लेकिन अब ये सुरंग पूरी तरह तैयार होने को है. बुधवार दोपहर 12.30 बजे एक ब्लास्ट के साथ सुरंग का रास्ता पूरा खुल गया. हालांकि इस सुरंग का आम इस्तेमाल डेढ़ साल बाद ही शुरू होगा. लेकिन जब ये होगा तब 30 किलोमीटर की दूरी 5 से 10 मिनट में तय हो जाएगी.

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नवंबर 2023 में जो 41 मज़दूर इस सुरंग में फंसे रहे, उनमें माणिक तलूदार भी थे. सुरंग से बाहर आने के बाद भी वो लगातार काम में लगे रहे. अब खुश हैं कि सुरंग तैयार है.

पिछली बार सुरंग ढही थी तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निजी तौर पर वहां मौजूद रहते हुए सारे बचाव अभियान का नेतृत्व किया था. बुधवार को भी वो सुरंग खोले जाने के मौक़े पर मौजूद थे. सीएम ने इस परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों, श्रमिकों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक अवसर न केवल उन्नत इंजीनियरिंग की सफलता का प्रतीक है, बल्कि आस्था और समर्पण की शक्ति का जीवंत उदाहरण भी है.

सुरंग के ठीक बाहर अब एक मंदिर भी तैयार है. इस बौखनाग मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा भी हुई.

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1384 करोड़ के बजट से बनी सिलक्यारा सुरंग भारत में विकास के जज़्बे की गवाही देती है. इस परियोजना के पूर्ण होने से क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और रोजगार की संभावनाओं में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.

सिलक्यारा सुरंग चारधाम यात्रा की दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना है. इस सुरंग परियोजना की लंबाई 4.531 किलोमीटर है. सुरंग निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा और समय की बचत होगी.




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