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Himanta Biswa Sarma announced in Assam Assembly state government decided to push back foreigners into Bangladesh


Himanta Biswa Sarma: हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार (9 जून, 2025) को असम विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में घोषणा करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने 1950 के एक अधिनियम को लागू करने का फैसला किया है ताकि जिला कलेक्टरों की जांच में प्रथम दृष्टया विदेशी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को बांग्लादेश वापस भेजा जा सके.

सीएम ने दावा किया कि राज्य को ऐसा करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. उन्होंने कहा कि विदेशी न्यायाधिकरणों (एफटी) की तरफ से विदेशी घोषित किए गए लोगों को वापस भेजने की चल रही प्रक्रिया के अलावा इसे लागू किया जाएगा. पिछले कुछ हफ्तों में लगभग 330 ऐसे घोषित विदेशियों को बांग्लादेश वापस भेजा गया है.

सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए सरमा ने क्या कहा ?  

विधानसभा में बोलते हुए सरमा ने सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2024 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के बहुमत ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6-ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था, जो असम में नागरिकता के लिए 24 मार्च, 1971 को कट-ऑफ तिथि है. 

जिला कलेक्टर को दी गई पावर 

सरमा ने कहा, “चार जजों ने कहा है कि 1971 कट-ऑफ डेट है, लेकिन एक बात जो सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कही, वह यह कि 1971 के बाद लाए गए लोगों को किसी भी तरह से बख्शा नहीं जाना चाहिए, उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए. उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को व्यापक शक्ति दी थी. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि की कि 1950 का निष्कासन अधिनियम वैध और प्रभावी बना हुआ है.

 उन्होंने आगे कहा कि इसका मतलब है कि विदेशियों को निष्कासित करने के लिए सरकार को ट्रिब्यूनल में जाने की जरूरत नहीं है. 1950 के अधिनियम में कहा गया है कि अगर डीसी कहता है कि प्रथम दृष्टया यह व्यक्ति विदेशी है तो उसे असम राज्य से बेदखल किया जा सकता है.

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