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General GD Bakshi on 1965 Indo-Pak War: मेजर जनरल गगनदीप बख्शी (जीडी बख्शी) भारतीय सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी हैं. उन्होंने भारतीय सेना के जम्मू-कश्मीर राइफल्स में अपनी सेवाएं दीं हैं. बख्शी ने 1971 और 1999 कारगिल में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध भी लड़ा है. वह अपने तेज तर्रार और स्पष्ट बयानों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ जंग में शहीद अपने बड़े भाई को याद कर उनकी आंखों में आंसू आ गए.
मेजर जनरल जीडी बख्शी ने यूट्यूब चैनल कर्ली टेल्स पर एक इंटरव्यू दिया. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की युद्ध में शहीद अपने बड़े भाई का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘मेरे एक बड़े भाई थे. वे काफी लंबे, सुंदर, स्मार्ट और एक क्रिकेटर थे. वे शहर के एक काफी चर्चित व्यक्ति थे. उन्होंने भारतीय सेना ज्वाइन की और एक कैप्टन रैंक के अधिकारी बने और 1965 के युद्ध में वो शहीद हो गए.’
लैंडमाइन फटने से शरीर के हो गए थे टुकड़े
जनरल बख्शी ने कहा, ‘मेरे भाई के बदन के टुकड़े-टुकड़े उड़ गए क्योंकि एक लैंडमाइन फटा था. M-16 माइन, जो सबसे खतरनाक होता है. वो उछलकर छाती तक आता है और इंसान के शरीर को पूरी तरह से फाड़कर रख देता है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरे भाई के शरीर के भी छोटे-छोटे टुकड़े हो गए थे. लोगों ने उनके शरीर के टुकड़ों को इकट्ठा करके फ्रंट लाइन में ही अंतिम संस्कार कर दिया था और हमारे में घर एक कांसे का कलश आया, जिसमें मेरे भाई की राख थी.’
बख्शी के आंखों में आ गए आंसू
उन्होंने कहा, ‘उनकी पलटन का एक फौजी उनकी राख को आया था. उसने पूरे परिवार को दिलासा दिया कि उन्होंने बहुत बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन फिर मैंने उसे किनारे ले जाकर पूछा कि आखिर हुआ क्या था तो उसने कहा था कि यह बात अपने मां-बाप को मत बताना. माइन के फटने से उनके शरीर के चिथड़े-चिथड़े हो गए थे. हमने उनके शरीर के टुकड़े इकट्ठा किए थे.’
आपको बदला लेना है… जीडी बख्शी
यह बोलते हुए मेजर जनरल जीडी बख्शी भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने आगे कहा, ‘उस फौजी ने मुझसे कहा था कि ‘साहब आप रो नहीं सकते. आपको बदला लेना है. मुझे आज तक उसके अल्फाज याद हैं.’