India will build 12 advanced minesweepers ships at cost of 44 thousand crores know why they are special for Navy
भारत ने स्वदेशीकरण की दिशा में पहल करते हुए 12 विशेष युद्धपोतों के निर्माण का फैसला लिया है. समुद्र में बारूदी सुरंगें ढूंढने और उन्हें खत्म करने के लिए फिर से माइनस्वीपर जहाज बनाने का निर्णय किया गया है, ताकि बंदरगाहों और व्यापारिक जहाजों को कोई नुकसान न हो.
रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 12 एडवांस्ड माइनस्वीपर या माइन काउंटरमेजर वेसल (एमसीएमवी) भारतीय नौसेना के लिए बनाए जाएंगे, जिन पर करीब 44 हजार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है.
वर्तमान में भारत के पास नहीं है माइनस्वीपर जहाज
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना को अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद के सामने मंजूरी के लिए रखा जाएगा. रक्षा खरीद परिषद से मंजूरी मिलने के बाद भारतीय शिपयार्ड्स से जहाज बनाने के लिए टेंडर मांगे जाएंगे. अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के बाद पहली बार एमसीएमवी शुरू करने के लिए कम से कम 7-8 साल या इससे अधिक वक्त भी लग सकता है. वर्तमान में भारत के पास ऐसा कोई जहाज नहीं है, क्योंकि पुराने माइनस्वीपर कई साल पहले रिटायर कर दिए गए थे.
चीन और पाकिस्तान की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच लिया गया फैसला
भारत ने यह फैसला चीन और पाकिस्तान की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच नेवी को मजबूत करने के लिए लिया है. चीन से मुकाबला करने और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एमसीएमवी काफी महत्वपूर्ण हैं. चीन की तरफ से पाकिस्तान को दी जाने वाली 8 नई युआन क्लास डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के जरिए पाकिस्तान तेजी से अपने अंडरवाटर लड़ाकू विमानों को बढ़ा रहा है.
माइनस्वीपर जहाज नेवी के वो जहाज होते हैं, जिन्हें समुद्री मार्गों से बारूदी सुरंगों को हटाने के लिए खासतौर से डिजाइन किया जाता है, ये एक प्रकार का विस्फोटक उपकरण है. ये जहाज बारूदी सुरंगों का पता लगाकर नष्ट करने में सक्षम होते हैं. माइनस्वीपर जहाज युद्धपोतों और व्यापारिक जहाजों के लिए सुरक्षित मार्ग बनाते हैं. ये जहाज युद्ध के दौरान बारूदी सुरंगों को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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