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Indian government sending all-party delegation to highlight cross-border terrorism by pakistan operation sindoor VHP arise question about congress shashi Tharoor


Operation Sindoor: पहलगाम आतंकी हमले के बाद सीमा पार आतंकवाद को उजागर करने के लिए भारत प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की तैयारी कर रहा है. इसके लेकर प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर के शामिल होने की घोषणा की गई है. इस पर राजनीति शुरू हो चुकी है. इस मामले में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शशि थरूर को लेकर कहा कि कांग्रेस में होने और कांग्रेस का होने में जमीन-आसमान का फर्क है.

इस बीच विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कांग्रेस की ओर से उठाए गए सवालों पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट कर एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि कैसा दुर्भाग्य कि जब कोई कांग्रेसी कभी भारत की या राष्ट्रीयता की बात करता है, किसी अच्छे काम की प्रशंसा करता है या कहीं गलती से भी धर्म के पक्ष में बोल जाता है तो, वह ‘कांग्रेस में होते हुए भी कांग्रेस का नहीं’ रहता है. ये प्रश्न उठता है कि क्या पार्टी किसी देश प्रेमी कांग्रेसी को भी कभी अपना कह पाएगी?

जयराम रमेश की टिप्पणी पर किया सवाल

विनोद बंसल ने कहा कि अभी जिस प्रकार पार्टी के मीडिया प्रमुख जयराम रमेश ने अपनी ही पार्टी के एक वरिष्ठ नेता शशि थरूर के बारे में जो कहा है वह न सिर्फ पार्टी के अंदरूनी पोल खोलता है बल्कि उस की भारत विरोधी छवि को भी दोबारा उजागर करता है. देश पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली और खुद को सबसे पुरानी पार्टी बताने वाली यह कांग्रेस क्या कभी अपने कुछ नेताओं के अंदर बचे राष्ट्रीयता के भावों का सम्मान कर पाएगी. यह सोचने वाली बात है. सरकार ने विदेश जाने वाले दलों में उसके कुछ नेताओं के नाम क्या घोषित किए उसी में उसे मिर्ची लग गई.

राष्ट्रीय राजनैतिक दलों के 51 वरिष्ठ नेता 

विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि भारत सरकार ने विश्व भर से आतंक के समूल नाश हेतु एक बहुत बड़ा फैसला लिया है. इसकी मदद से दुनिया के दर्जनों देशों की यात्रा पर हमारे राष्ट्रीय राजनैतिक दलों के 51 वरिष्ठ नेता जा रहे हैं. 7 टोलियां में विभाजित 20 से अधिक दलों के ये वरिष्ठ नेता शीघ्र ही पूरी दुनिया के सामने न सिर्फ नापाक पाकिस्तान की आतंकी करतूतों को उजागर करेंगे बल्कि, दुनिया को आतंकवाद की घटना से बचाने में उनका मदद व समर्थन हासिल होगा, इस संबंध में वैश्विक एकजुटता का प्रयास भी करेंगे. आतंक के नाश के बिना शांति की स्थापना, एक कोरी कल्पना है. व्यक्तिगत व व्यावसायिक हितों को एक तरफ कर इस बारे में सब को एकजुट होना ही होगा. यही शायद इस यात्रा का मतलब है. केंद्र सरकार का यह अभूतपूर्व कदम स्वागत योग्य है.





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