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Jammu Kashmir News: कश्मीर घाटी के गंदरबल जिले के तुलमुल्ला गांव में बने खीर भवानी के मंदिर में भक्तों का मेला सोमवार (2 जून) से लगना शुरू हो गया है. माता खीरभावनी के मंदिर में मेला अगले दो दिन तक जारी रहेगा जिस में घाटी में रहने वाले और देश भर से आने वाले कश्मीर पंडित और माता के भक्त शामिल हो रहे है. 

गांदरबल के तुलमुल्ला के अलावा कुलगाम के मंजगाम और देवसर, अनंतनाग के लोगरीपोरा और कुपवाड़ा के टिक्कर में पांच रागन्या भगवती मंदिरों में भी मेला आयोजित किया जा रहा है.

पिछले महीने अनंतनाग के पहलगाम के हुई पर्यटकों की हत्या और उसके बाद भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच तनाव के चलते भक्तो की संख्या पर भी प्रभाव पड़ा है. हालांकि आज से पहले हालात के विपरीत काफी बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित माता खीर भवानी के वार्षिक उत्सव में पहुंचते रहे हैं.

डर पर भारी पड़ी आस्था  
इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि आस्था हर तरह के आतंकवाद और आतंकी हमले के डर पर भी भारी पड़ेगी. साल 1990 में कश्मीर में बिगड़े हालात के दौर में भी मेले को कभी भी रोका नहीं गया और कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर से उनके जुड़े होने का सबसे बड़ा कारण भी रहा. इस साल माता खीर भवानी के नाम पहचान रखने वाली माता रंगया देवी का मेला 3 और 4 जून को मनाया जाना है.

दो महीने से शुरू हो गईं थी तैयारियां
श्रीनगर से 35 किमी दूर गांदरबल जिले के तुलमुल्ला गांव में स्थित मां भवानी के मंदिर परिसर में मेला के लिए तैयारियां करीब दो महीने पहले शुरू कर दी गईं थी और कुछ भक्त पहले से ही मंदिर परिसर में पहुंच भी गए हैं. मंदिर का संचालन करने वाले धर्मार्थ ट्रस्ट के प्रेसिडेंट ब्रिगेडियर रजिंदर सिंह के अनुसार मेले के लिए सभी प्रबंद किए गए हैं ताकि आने वाले भक्तों को कोई दिक्कत ना हो. इस बार उम्मीद है कि हजारों भक्त यहां पहुंचेंगे.

माना जाता है कुल देवी
कश्मीरी पंडितों में मां भवानी को कुल देवी माना जाता है और इस मंदिर में मां भवानी के जल स्वरूप की पूजा होती है. मान्यता है कि यहां पर हनुमान जी माता को जल स्वरूप में, अपने कमंडल में लाये थे और इस जल का रंग बदलता रहता है. अपने परिवार के साथ खीर भवानी पहुंची भक्तों के अनुसार मेला कश्मीरी पंडितों को अपनी जड़ो में मिलने और उनके बचो को कश्मीर के साथ जोड़े रखने का यह मेला सब से बढ़िया तरीका है.



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