Meghalaya 140 year old Sohra police station converted into a cafe serving delicious food to customers
Meghalaya News: मेघालय के सोहरा में 140 साल पुराने एक पुलिस थाने को खूबसूरत कैफे में तब्दील किया गया है. सबसे ज्यादा बारिश वाले इलाकों में शुमार सोहरा में स्थित इस कैफे में अब ग्राहकों को लजीज पकवान परोसे जा रहे हैं. साल 1885 में स्थापित सोहरा पुलिस थाने की इमारत मेघालय की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है. ब्रिटिश शासन के दौरान इस इमारत का इस्तेमाल एक कुख्यात हिरासत केंद्र के रूप में किया जाता था.
इस थाने को ‘सोहरा 1885’ नाम के कैफे में तब्दील कर दिया
हालांकि, अब इस थाने को ‘सोहरा 1885’ नाम के कैफे में तब्दील कर दिया गया है, जो खाने के शौकीन लोगों और पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनकर उभरा है. इस कैफे में इतिहास और आतिथ्य का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. ग्राहक ‘कैफे 1885’ में ‘डाइनिंग रूम’ में तब्दील की गई जेलों में अपने पसंदीदा पकवानों का लुत्फ उठा सकते हैं. कैफे से अर्जित मुनाफा पुलिस कल्याण के लिए दान कर दिया जाता है.
सोहरा पुलिस थाने को कैफे में बदलने का विचार ईस्ट खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विवेक सईम ने दिया था, जो उस समय क्षेत्र (सोहरा) में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में तैनात थे. मेघालय पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके इस विचार का पूर्ण समर्थन किया.
सईम ने ‘पीटीआई-भाषा’ न्यूज एजेंसी से कहा, “मैं इतिहास में खास स्थान रखने वाले इस पुलिस थाने के साथ हमेशा से कुछ अलग करना चाहता था. राज्य में ऐसी बहुत कम इमारतें बची हैं, जो इतिहास में खास स्थान रखती हैं.” उन्होंने कहा, “मैंने सोहरा पुलिस थाने को कैफे में बदलने का विचार तब दिया था, जब मैं इलाके में डीएसपी था. मुझे पता था कि इतिहास में खास स्थान रखने के कारण यह भवन बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करेगा.”
आय का इस्तेमाल पुलिस कल्याण के लिए किया जा सकता था- सईम
मेघालय सरकार ने दो साल पहले जब सोहरा में ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात करने के लिए नये थाना भवन के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी, तब पुरानी इमारत से आर्थिक लाभ हासिल करने के इरादे से इसे कैफे में बदलने की कवायद तेज हो गई.
सईम ने कहा, “थाने को कैफे में बदलने का मतलब था पुलिस बल के लिए अतिरिक्त आय, जिसका इस्तेमाल पुलिस कल्याण के लिए किया जा सकता था.” उन्होंने बताया कि कैफे के संचालन के लिए साझेदार चुनने के वास्ते निविदा प्रक्रिया दो साल पहले शुरू की गई.
सईम के मुताबिक, युवा उद्यमी नफी नोनग्रम को कैफे के संचालन के लिए चुना गया, जिन्होंने इमारत की संरचना के हिसाब से इसका डिजाइन प्रस्तुत किया और इसे ‘सोहरा 1885’ नाम दिया. उन्होंने बताया कि नफी ने ब्रिटिश काल की वस्तुओं का इस्तेमाल कर पुलिस थाने को खूबसूरत कैफे का रूप दिया.
हमने जेलों को ‘डाइनिंग रूम’ में तब्दील किया- नफी
नफी ने कहा, “हमने जेलों को ‘डाइनिंग रूम’ में तब्दील किया. आगंतुकों को कैफे का लुक और माहौल काफी अच्छा लगता है.” सईम ने बताया कि नफी ने इमारत की दीवारों और फर्श में कोई बदलाव नहीं किया, क्योंकि ये आज भी काफी अच्छी स्थिति में हैं. उन्होंने बताया कि थाने में मौजूद अंगीठी की भी मरम्मत कर उसे उसके पुराने स्वरूप में ढाला गया.
नफी के मुताबिक, कैफे में एक साथ 200 लोग अपने पसंदीदा पकवानों का लुत्फ उठा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इसमें 200 किलोग्राम की एक तिजोरी का भी रंगरोगन किया गया है, जो पर्यटकों के बीच आकर्षण के केंद्र के रूप में उभर रही है.
‘सोहरा 1885’ का उद्घाटन 22 मई को किया गया. तब से बड़ी संख्या में पर्यटक और स्थानीय लोग इसका रुख कर रहे हैं. बत्स्केम थबाह नाम की एक ग्राहक ने कहा, “यह कैफे वाकई बहुत खूबसूरत है. हमें ‘डाइनिंग रूम’ में तब्दील की गई जेल में खाना खाकर काफी मजा आया.”