Mehbooba Mufti PDP Letter To CM Omar Abdullah opposed Govt Decision Appoint retired army personnel in Jammu Kashmir ANN
Mehbooba Mufti Letter To Omar Abdullah: पीडीपी प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में सरकारी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए रिटायर्ड सुरक्षा बलों और सेना के जवानों को नियुक्त करने के जम्मू-कश्मीर सरकार के फैसले का विरोध किया है. उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों में इजाफे और सीमाओं पर तनाव के बाद प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों को तैनात करने का फैसला किया है. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को निशाना बना सकते हैं.
पिछले सप्ताह समुदाय आधारित सुरक्षा को मजबूत करने और पूर्व सैन्य कर्मियों की क्षमताओं का इस्तेमाल करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, जम्मू और कश्मीर के सैनिक कल्याण बोर्ड ने केंद्र शासित प्रदेश में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों (ईएसएम) को जुटाने का प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव को अब जम्मू-कश्मीर सरकार ने औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है.
बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों की होगी तैनाती
स्वीकृत योजना के अनुसार, इस पहल के लिए 4,000 पूर्व सैनिक स्वयंसेवकों की पहचान की गई है. इनमें से 435 व्यक्तियों के पास लाइसेंसी निजी हथियार हैं, जो स्थानीय सुरक्षा स्थितियों का प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाते हैं. इन ईएसएम को जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों में बिजली स्टेशनों, पुलों, सरकारी प्रतिष्ठानों और अन्य संवेदनशील बिंदुओं सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए नियोजित किया जाएगा. महबूबा मुफ्ती ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि सरकार का यह फैसला क्षेत्र के युवाओं में बेरोजगारी को दूर करने का एक और अवसर खो देने के बराबर है.
गार्ड ड्यूटी के लिए सैन्य विशेषज्ञता की जरूरत नहीं- महबूबा मुफ्ती
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लिखे पत्र में मुफ्ती ने कहा, ”सैन्य दिग्गजों की सेवा का सम्मान किया जाता है, लेकिन स्थिर गार्ड ड्यूटी के लिए सैन्य विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती है और इसे प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं द्वारा प्रभावी ढंग से संभाला जा सकता है. उन्होंने लिखा, “इस तरह का रोजगार जम्मू-कश्मीर में शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा हो सकता है.”
‘बेरोजगार युवाओं में अलगाव बढ़ने का जोखिम’
उन्होंने ये भी कहा, “सेवानिवृत्त सैनिकों को प्राथमिकता देना, जिनमें से कई पहले से ही पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, बेरोजगार युवाओं में अलगाव की भावना को गहरा करने का जोखिम है.” मुफ्ती ने चेतावनी दी कि इस कदम को अल्पकालिक सुरक्षा उपाय के रूप में देखा जा सकता है जो दीर्घकालिक शांति और स्थिरता में योगदान करने में विफल रहता है. उन्होंने तर्क दिया कि इन भूमिकाओं में स्थानीय युवाओं को शामिल करने से न केवल रोजगार पैदा होगा बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने में समावेश, विश्वास और साझा जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ेगी.
उमर अब्दुल्ला से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह
महबूबा मुफ्ती ने एक्स पोस्ट में कहा, “उमर साहब को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया कि वे प्रमुख प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों को नियुक्त करने के अपने सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करें, जबकि मैं अपने पूर्व सैनिकों के लिए अत्यंत सम्मान और कृतज्ञता रखती हूं, हमें जम्मू-कश्मीर में युवाओं को प्रभावित करने वाली बेरोजगारी के बढ़ते संकट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और न ही कर सकते हैं, जिनकी संख्या अब लाखों को पार कर गई है.”
Wrote to Omar Sahab urging him to reconsider his government’s decision to employ 4,000 ex-servicemen to guard key installations. While I hold the utmost respect and gratitude for our ex-servicemen we mustn’t & cannot overlook the mounting crisis of unemployment afflicting youth… https://t.co/A2Xj5gmzKO
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) May 19, 2025
उन्होंने ये भी कहा, “बढ़ती बेरोजगारी सिर्फ आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि सामाजिक आपातकाल भी है. निराशा के बीच कम अवसर मिलने से कई युवा नशे की लत में फंस रहे हैं और दुखद रूप से कुछ तो आत्महत्या तक कर रहे हैं. हमें उनके भविष्य के बारे में ज़्यादा सोच-समझकर उनकी मदद करनी चाहिए.”