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NDMC bulldozer roared in Sarojini Nagar market Delhi shopkeepers demand investigation ann


Sarojini Nagar Market Delhi: दिल्ली के मशहूर सरोजिनी नगर मार्केट में 17-18 मई की दरम्यानी रात एक ऐसी घटना हुई, जिसमें सैकड़ों दुकानदारों की नींद उड़ा दी. रात के अंधेरे में अचानक न्यू दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) ने सैकड़ों पुलिसवालों और तीन जेसीबी मशीनों के साथ मार्केट में हुए अतिक्रमण पर धावा बोल दिया. बिना किसी पूर्व सूचना के शुरू हुई इस बुलडोजर कार्रवाई ने दुकानदारों को सकते में डाल दिया. दुकानदारों का आरोप है कि यह कार्रवाई गैरकानूनी थी और अनाधिकृत वेंडरों की मिलीभगत से की गई. 

हर रोज की तरह मार्केट बंद होने के बाद रात 12 बजे NDMC के दर्जनों कर्मचारी, दिल्ली पुलिस के सैकड़ों जवान और अधिकारी अचानक सरोजनी नगर पहुंचे. तीन जेसीबी मशीनों ने दुकानों के बाहर अतिक्रमण हुए हिस्से को तोड़ना शुरू कर दिया. जब तक दुकानदारों को इसकी भनक लगी, तब तक कई दुकानों को नुकसान पहुंचाया जा चुका था. 

सरोजिनी नगर मार्केट के दुकानदार अपनी दुकानों को बचाने के लिए मौके पर पहुंचे और कार्रवाई रोकने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी एक न सुनी गई. उल्टा बीच में आने वालों को पुलिस ने डंडों से पीटकर भगा दिया गया. 

करीब 1100 दुकानें कानूनी 

सरोजिनी नगर मार्केट में मेन और मिनी मार्केट मिलाकर करीब 450 मुख्य दुकानें हैं. इसके अलावा, 628 ऑथराइज्ड रेहड़ी-पटरी दुकानें हैं, उन्हें कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है. 

सरोजिनी  नगर मार्केट के दुकानदारों का कहना है कि 1952 में स्थापित इस मार्केट में ज्यादातर दुकानें पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को दी गई थीं, जिन्हें नीचे दुकान और ऊपर मकान आवंटित किया गया था. दुकानदारों ने सवाल उठाया कि जब उनकी दुकानें कानूनी हैं, तो बिना नोटिस के यह कार्रवाई क्यों? उनका आरोप है कि अनधिकृत वेंडरों के साथ साठगांठ कर NDMC ने यह गैरकानूनी कदम उठाया. 

एनडीएमसी की कार्रवाई गैर कानूनी 

सरोजिनी  नगर मिनी मार्किट के प्रेसिडेंट अशोक रंधावा ने NDMC की इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताते हुए जांच की मांग की है. उनका कहना है कि अगर नियमों का उल्लंघन था तो पहले नोटिस क्यों नहीं दिया गया? अनाधिकृत वेंडरों पर कार्रवाई के नाम पर कानूनी दुकानों को क्यों निशाना बनाया गया? लोग अब इस कार्रवाई के पीछे की सच्चाई जानना चाहते हैं.

इस मार्केट का इतिहास क्या है?

एशिया के सबसे बड़े बाजारों में शुमार सरोजिनी नगर मार्केट 1952 में बसाया गया था. तब पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को यहां बसाने के लिए दुकानें और मकान दिए गए थे. यह मार्केट आज दिल्ली की शान है, जहां हर दिन हजारों लोग खरीदारी के लिए आते हैं. लेकिन इस कार्रवाई ने मार्केट की रौनक पर सवाल खड़े कर दिए हैं.



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