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New Domicile policy Ladakh Residents have 85 percent job quota 33 percent seat reservation in councils


सरकार ने मंगलवार (3 जून, 2025) को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए नए आरक्षण और अधिवास नियम (Domicile Rules) लागू कर स्थानीय लोगों को तोहफा दिया है. अब स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में 85 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषदों में कुल सीट में से एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं.

अधिसूचना के अनुसार लद्दाख के डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए 15 साल की अवधि तक वहां का निवासी होना जरूरी है. अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, भोटी और पुरगी भाषा को लद्दाख में आधिकारिक भाषा बनाया गया है. सरकार के इस कदम का मकसद स्थानीय हितों की रक्षा करना है. जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को जाने के बाद लद्दाख के लोग अपनी भाषा, संस्कृति और भूमि की रक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.

सरकार की ओर से जारी कई अधिसूचनाओं के अनुसार, नौकरियों और स्वायत्त परिषद में आरक्षण, अधिवास और भाषाओं से संबंधित नीतियों में किए गए बदलाव मंगलवार से प्रभावी हो गए. नए नियमों के तहत, जो लोग केंद्र शासित प्रदेश में 15 साल की अवधि तक निवास कर चुके हैं या सात साल की अवधि तक अध्ययन कर चुके हैं और केंद्र शासित प्रदेश में स्थित किसी शैक्षणिक संस्थान में कक्षा 10वीं या 12वीं की परीक्षा में शामिल हुए हैं, वे केंद्र शासित प्रदेश के तहत किसी भी पद पर या ‘कैंटोनमेंट बोर्ड’ के अलावा किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के तहत नियुक्ति के प्रयोजनों के लिए लद्दाख के मूल निवासी होंगे.

केंद्र सरकार के अधिकारियों, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों, केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और स्वायत्त निकाय के अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वैधानिक निकायों के अधिकारियों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त शोध संस्थानों के अधिकारियों, जिन्होंने 10 वर्षों की अवधि तक केंद्र शासित प्रदेश में सेवा की है, उनके बच्चे भी अधिवास के लिए पात्र हैं. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण इसमें शामिल नहीं है.

आधिकारिक राजपत्र में एक अन्य अधिसूचना में सरकार ने कहा कि लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद अधिनियम, 1997 के तहत परिषद की कुल सीट में से कम से कम एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी और ऐसी सीट अलग-अलग क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों को बारी-बारी से आवंटित की जा सकती हैं. लद्दाख में दो स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषदें हैं – लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद, लेह और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद, कारगिल.

अधिवास प्रमाण पत्र सिर्फ लद्दाख लोक सेवा विकेंद्रीकरण और भर्ती (संशोधन) विनियमन, 2025 में परिभाषित लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र के अंतर्गत पदों पर नियुक्ति के लिए मान्य होगा. अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, भोटी और पुरगी को लद्दाख की आधिकारिक भाषा बनाने के अलावा, सरकार ने कहा कि अंग्रेजी का उपयोग संघ राज्य क्षेत्र के सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता रहेगा, जिसके लिए इस विनियमन के लागू होने की तारीख से पहले इसका उपयोग किया जा रहा था.

केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन लद्दाख में अन्य भाषाओं के प्रचार और विकास के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत करने और कला, संस्कृति और भाषा अकादमी की स्थापना के लिए भी आवश्यक कदम उठाएगा. लद्दाख की अन्य मूल भाषाओं जैसे शिना (दार्दिक), ब्रोक्सकट (दार्दिक), बल्ती और लद्दाखी के प्रचार और विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे.

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश और लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिसंबर 2023 में लद्दाख के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया था कि वह केंद्र शासित प्रदेश के विकास को तेज करने और क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

लद्दाख के लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए पहली बार जनवरी 2023 में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था. इसने लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ उनकी मांगों का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए कई बैठकें कीं. अक्टूबर 2024 में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे. उसके बाद तीन दिसंबर 2024 को और फिर इस साल 15 जनवरी और 27 मई को लद्दाख के नागरिक संगठनों के नेताओं के साथ बातचीत की गई.



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