new rules for pilots from 1 july 2025 reduction in shift timing and rest period more details ann
भारतीय पायलटों की छह साल लंबी कानूनी और नैतिक लड़ाई आखिरकार रंग लाई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को आदेश दिया है कि वह नए ड्यूटी और विश्राम मानकों को 1 जुलाई 2025 से अनिवार्य रूप से लागू करे. इससे पायलटों को न केवल बेहतर आराम मिलेगा, बल्कि उड़ानों की सुरक्षा मानकों में भी बड़ा सुधार आने की उम्मीद है.
पायलटों को अब मिलेगा हफ्ते में 48 घंटे का विश्राम
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, अब पायलटों को हर सप्ताह कम से कम 48 घंटे का विश्राम अनिवार्य रूप से दिया जाएगा. पहले यह अवधि केवल 36 घंटे थी, जिससे पायलटों की थकान और मानसिक दबाव लगातार बढ़ रहा था.
अब केवल दो लैंडिंग की अनुमति
1 नवंबर 2025 से नाइट ड्यूटी की समय सीमा भी बढ़ाकर आधी रात से सुबह 6 बजे तक कर दी जाएगी, जो पहले केवल सुबह 5 बजे तक थी. इसके साथ ही रात की ड्यूटी में अब एक पायलट अधिकतम दो बार ही लैंडिंग कर सकेगा.
एयरलाइन्स की चाल पर दिल्ली HC ने लगाया ब्रेक
एयरलाइन्स ने नए नियमों के खिलाफ यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि इससे स्टाफ की जरूरत बढ़ेगी, विमानों की उड़ानें प्रभावित होंगी और किराए में वृद्धि हो सकती है. DGCA ने भी दबाव में आकर नियमों को ‘अस्थायी रूप से स्थगित’ कर दिया और एयरलाइन्स से सुविधानुसार समय सीमा मांगी. यही कदम पायलटों के धैर्य की परीक्षा बन गया और उन्होंने एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि 1 जुलाई की समयसीमा से कोई समझौता नहीं होगा. एयरलाइन्स को 15 दिन के भीतर अपनी कार्य योजना DGCA को सौंपनी होगी. अगर DGCA समय सीमा का उल्लंघन करता है तो पायलट संगठन फिर से कोर्ट का रुख कर सकते हैं.
जानें पूरा मामला
यह लड़ाई 2019 में तब शुरू हुई थी जब DGCA ने नए नियमों में रात की ड्यूटी को लगातार दो रातों तक बढ़ा दिया था, अल्ट्रा-लॉन्ग फ्लाइट्स में विश्राम अवधि कम कर दी थी और आपातकालीन परिस्थितियों में एयरलाइनों को पायलटों से अतिरिक्त काम करवाने की छूट दे दी थी. इसके खिलाफ इंडियन पायलट्स गिल्ड, फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स और इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन ने एकजुट होकर मोर्चा खोला.
अब सुरक्षा को मिलेगी प्राथमिकता
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न केवल पायलटों की सेहत और मानसिक संतुलन के लिए अहम है, बल्कि हवाई सुरक्षा के लिहाज़ से भी एक बड़ी उपलब्धि है. थके हुए पायलटों की ड्यूटी में लापरवाही की संभावना बढ़ जाती है, जिससे यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती है.
ये भी पढ़ें-