Palam 360 Khap appeal to Delhi CM Arvind Kejriwal Pass resolution on Delhi Dehat ann | दिल्ली सरकार से पालम 360 खाप नाराज, सुरेंद्र सिंह की अपील
Delhi News: दिल्ली देहात के किसान लगातार अपनी मांगों को माने जाने को लेकर आप सरकार से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी आवाज सरकार के कानों तक नहीं पहुंच पाई है. हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पाल 360 खाप के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान जुड़े सभी मुद्दों पर जल्द विधानसभा का सत्र बुलाकर प्रस्ताव पास कराने की बात की थी, लेकिन अब तक ऐसा न हो पाने से दिल्ली देहात के ग्रामीणों में असंतोष घर कर गई है. वे जल्द से जल्द उनके मुद्दों पर विधानसभा के सत्र में चर्चा कर उन्हें पास कराने की मांग कर रहे हैं.
एबीपी लाइव से बात करते हुए पालम 360 के प्रधान चौधरी सुरेन्द्र सोलंकी ने कहा, “पिछले दिनों हमारे आंदोलन के दौरान जब हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिले तो उन्होंने दिल्ली सरकार से जुड़े सभी मुद्दों पर भी जल्द विधानसभा का सत्र बुलाकर पास करने की बात की थी. दुर्भाग्य यह है कि उसके बाद दो सत्र हो चुके हैं, लेकिन हमसे किये वादे अभी तक विधानसभा से पारित नहीं हुए.”
प्रस्ताव पास करा एलजी के पास भेजें सीएम
पालम 360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेन्द्र सोलंकी दिल्ली सरकार को चेतवानी देते कहा कि इस बजट के सत्र के दौरान हमारे सभी मुद्दों को विधानसभा से पारित करके दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के पास जल्द से जल्द भेजें. साथ ही सर्कल रेट को कम से कम पांच करोड़ प्रति एकड़ के हिसाब से पास करवाएं. उपराज्यपाल से उस पर सहमति लेकर दिल्ली देहात के लोगों को राहत देने का काम करें.
दिल्ली के सीएम से की ये अपील
सुरेंद्र सोलंकी ने बताया कि धारा 81, 33, को समाप्त कर पुराने मुकदमे सारे खारिज किए जाएं. 20 सूत्री एवं 74/4 के तहत आवंटित भूमि एवं प्लॉट को मालिकाना हक देना, मोटेशन को खोलना, अल्टरनेटिव प्लॉट ग्रामीणों को जल्द दिये जाएं. सर्किल रेट बढ़ाकर 5 करोड़ प्रति एकड़ करना जैसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि वे जल्द विधानसभा का सत्र बुलाकर उनकी मांगों को पास करके केंद्र सरकार को भेजेंगे. 4 महीने निकलने के बावजूद आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वे मुख्यमंत्री से अपील करते है कि इस बजट सत्र में ग्रामीणों से किए वादे पूरे करें, अन्यथा इसका खामियाजा उनको आने वाले चुनाव में भुगतना पड़ेगा. अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाता है, तो वे वादा खिलाफी बर्दाश्त नहीं करेंगे. आने वाले दिनों में ग्रामीण उनके आवास का घेराव भी करेंगे.
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