Rajasthan High Court Order To Issue EWS Certificate To Woman Married From Another State
Rajasthan High Court: राजस्थान में अन्य राज्य से विवाहित महिला को EWS प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया गया है. अन्य राज्य से राजस्थान में विवाहित महिलाओं को सामान्य श्रेणी में मानकर उन्हें ईडब्ल्यूएस श्रेणी का प्रमाण पत्र जारी करने में की जा रही मनाही पर अब रोक लगेगी.
राजस्थान हाई कोर्ट जोधपुर ने इस मामले में सुनीता रानी बनाम राजस्थान सरकार के प्रकरण में स्पष्ट आदेश जारी करते हुए एसडीएम भादरा को 4 सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ता को सामान्य श्रेणी का ईडब्ल्यूएस श्रेणी का प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है. जस्टिस रेखा बोराणा की अदालत ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान आदेश जारी किया है.
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि याचिकाकर्ता EWS श्रेणी के दिनांक 19 फ़रवरी 2019 के नोटिफिकेशन अनुसार ई डब्लू एस श्रेणी के प्रमाण पत्र की हकदार है. अथॉरिटी ने याचिकाकर्ता को इस आधार पर ईडब्ल्यूएस श्रेणी का प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया कि उसके पास जन्म आधारित हरियाणा राज्य का ओबीसी प्रमाण पत्र था जबकि राजस्थान सरकार ने अक्टूबर 2023 के अपने सर्कुलर की मार्फत स्पष्ट किया हुआ है कि अन्य राज्य से यहां विवाह के आधार पर राजस्थान में माइग्रेटिड महिलाओं को ओबीसी श्रेणी का लाभ नहीं मिलेगा और उन्हें सामान्य श्रेणी में माना जाएगा.
वकील ने आगे कहा कि विवाह के आधार पर राजस्थान की मूलनिवासी होने के कारण सामान्य श्रेणी का ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा . सरकार की तरफ से याचिकाकर्ता के एडवोकेट के इन तर्कों का विरोध नहीं किया गया.
4 सप्ताह में याचिकाकर्ता का EWS प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश
अदालत ने राजस्थान सरकार के 20 अक्टूबर 2023 के सर्कुलर के विशेष उपबंध को उल्लेखित करते हुए संबंधित अथॉरिटीज को चार सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ता का EWS प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अन्य राज्यों में किसी भी आरक्षित श्रेणी में जन्मी महिलाओं को राजस्थान में सामान्य श्रेणी में मानकर ईडब्लूएस श्रेणी का प्रमाण पत्र जारी करने में पेश आ रही बाधा पर विराम लगने की संभावना है.
राजस्थान सरकार की ओर से इस संबंध में स्पष्ट सर्कुलर जारी किये जाने के बावजूद विभिन्न सीमावर्ती उपखंड कार्यालयों में यह समस्या सामने आ रही थी. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट सुशील बिश्नोई ने पैरवी की. वहीं सरकार की तरफ से एडवोकेट मनीष पटेल और एडवोकेट एसआर पालीवाल ने पक्ष रखा.