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Subramanian Swami files petition in Supreme Court to declare Ram Setu as National Monument ann


राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका में बताया गया है कि उन्होंने पहले भी याचिका दाखिल की थी. 2023 में कोर्ट ने उनसे केंद्र सरकार को ज्ञापन देने को कहा था. उन्होंने 2 बार सरकार को ज्ञापन दिया, लेकिन उस पर फैसला नहीं लिया गया.

स्वामी की मांग है कि राम सेतु के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए उसे स्थायी संरक्षण देने की जरूरत है इसलिए, उसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा मिलना चाहिए.

क्या है राम सेतु?
तमिलनाडु के रामेश्वरम और श्रीलंका के मन्नार के बीच आपस में जुड़ी लाइमस्टोन की एक श्रृंखला है. भूगर्भशास्त्री मानते हैं कि पहले यह श्रृंखला समुद्र से पूरी तरह ऊपर थी. इससे श्रीलंका तक चल कर जाया जा सकता था. हिंदू धर्म में इसे भगवान राम की वानर सेना द्वारा बनाया गया सेतु माना जाता है. दुनिया के कुछ दूसरे धर्मों में भी इस रचना के मानव निर्मित होने की मान्यता है. उन धर्मों में इसे एडम्स ब्रिज कहा जाता है.

यूपीए सरकार ने तोड़ने की बनाई थी योजना
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए के शासनकाल में शुरू की गई सेतु समुद्रम परियोजना के तहत जहाजों के लिए रास्ता बनाने के लिए राम सेतु को तोड़ा जाना था. बाद में कोर्ट के दखल के बाद यह कार्रवाई रुक गई थी. तब से राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक फैसला नहीं हुआ है.

2014 में एनडीए सरकार ने सत्ता संभालने के बाद सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राष्ट्रीय हित में यह तय किया गया है कि राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. सरकार सेतु समुद्रम परियोजना के लिए वैकल्पिक रास्ता तलाश रही है. हालांकि, राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देकर उसे भविष्य के लिए भी संरक्षित रखने पर सरकार ने अभी तक रुख स्पष्ट नहीं किया है.

 

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