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Supreme Court imposes fine on Police inspector for misbehaving with complainant ann


सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि शिकायत लेकर पुलिस थाने में पहुंचने वाले हर व्यक्ति के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार होना चाहिए. यह अनुच्छेद 21 यानी संविधान से हर व्यक्ति को मिले गरिमापूर्ण जीवन के मौलिक अधिकार के दायरे में आता है. कोर्ट ने पीड़ित को 2 लाख रुपए मुआवजा देने के तमिलनाडु मानवाधिकार आयोग के आदेश को सही ठहराया है.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने जिस मामले में यह फैसला दिया है, वह मई, 2020 का है. तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के श्रीविल्लीपुतुर टाउन थाने में शिकायत देने पहुंचे एक परिवार के साथ थाना प्रभारी इंस्पेक्टर पवुल येसुदासन ने दुर्व्यवहार किया था. इंस्पेक्टर ने शिकायत लेने से मना करते हुए उस परिवार को ‘कुत्ता’ कह कर भगा दिया था.

मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाने वाले एम तमिलसेल्वन ने बताया था कि उन्हें और उनके छोटे भाई से नौकरी दिलाने के नाम पर कुछ लोगों ने 13 लाख रुपये ठग लिए थे. उन्होंने श्रीविल्लीपुतुर थाने में सब-इंस्पेक्टर को लिखित शिकायत दी. सब-इंस्पेक्टर ने थाना प्रभारी का मोबाइल नंबर देकर बात करने को कहा. जब तमिलसेल्वन की मां ने कॉल किया तो इंस्पेक्टर पवुल येसुदासन ने ढंग से बात न करते हुए फोन काट दिया.

अगले दिन पीड़ित परिवार को थाने बुलाया गया. थाना प्रभारी ने अपने मोबाइल पर कॉल करने के लिए उन्हें फटकार लगाई. तमिलसेल्वन की मां और पूरे परिवार ने इंस्पेक्टर से माफी मांगी, लेकिन उसने उन्हें थाने से बाहर निकल जाने को कह दिया. इस दौरान नाराज इंस्पेक्टर ने उन लोगों को ‘कुत्ता’ कहा और बोला कि वह उनकी शिकायत नहीं लेगा.

राज्य मानवाधिकार आयोग के नोटिस का जवाब देते हुए इंस्पेक्टर ने दुर्व्यवहार की बात से इनकार किया. उसने कहा कि शिकायतकर्ता ने 13 लाख रुपए कई हिस्सों में दिए. यह अलग-अलग थाना क्षेत्र का मामला है, इसलिए उसने शिकायत नहीं ली. जून 2022 में आयोग ने इस दलील को ठुकरा दिया. आयोग ने कहा कि जब अपराध कई थाना क्षेत्रों से जुड़ा हो तो उनमें से कोई भी थाना शिकायत दर्ज कर सकता है. इंस्पेक्टर ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया. 

आयोग ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 2 लाख रुपए मुआवजा देने के लिए कहा था. इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे इंस्पेक्टर येसुदासन ने इसे अपनी नौकरी पर दाग बताया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.

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