Supreme Court orders demotion of Andhra Pradesh Deputy Collector who demolished homes ann | चौबे से बने दुबे: गरीबों का घर गिराने वाले अधिकारी का सुप्रीम कोर्ट ने किया डिमोशन, कहा
आंध्र प्रदेश के एक डिप्टी कलक्टर को सुप्रीम कोर्ट ने तहसीलदार बना दिया है. हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर गरीबों के घर गिराने के मामले में अधिकारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने यह सख्त आदेश दिया है. इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि अगर वह नीचे के पद पर जाने के लिए सहमत नहीं, तो 2 महीने के लिए जेल जाने को तैयार रहें.
कोर्ट के दबाव में आखिरकार अधिकारी ने किसी भी सजा को स्वीकार करने की बात कही. कोर्ट ने कहा कि वह अधिकारी को जेल भेजेगा तो उसकी नौकरी चली जाएगी. अपने अड़ियल और लापरवाह रवैये के लिए अधिकारी सख्त सजा के योग्य है, लेकिन उसके परिवार पर तरस खा कर उसे जेल नहीं भेजा जा रहा.
यह है मामला?
गुंटूर जिले के कुछ लोगों को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने जमीन पर दावे के मामले में अंतरिम राहत दी हुई थी. इस आदेश की अवहेलना करते हुए तहसीलदार टाटा मोहन राव ने 8 जनवरी 2014 को कार्रवाई की. राव ने 80 से ज्यादा पुलिस वालों के साथ जाकर गरीबों के घर गिरवा दिए. हाई कोर्ट ने इसे अपनी अवमानना करार देते हुए राव को 2 महीने की सजा दी थी. इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
सुप्रीम कोर्ट का सवाल
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस भूषणा रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने पूछा कि अधिकारी अभी किस पद पर काम कर रहा है? कोर्ट को बताया गया कि 2023 में प्रमोशन के बाद वह डिप्टी कलक्टर बन चुका है. इस पर जजों ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता नीचे के पद पर जाने के लिए तैयार है?
जेल भेजने की चेतावनी
6 मई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट पहुंचे टाटा मोहन राव ने नीचे के पद पर जाने से मना किया. इससे भड़के जजों ने कहा, ‘अगर आप अड़े हुए हैं, तो जेल जाने को तैयार रहिए. आपकी नौकरी जाएगी. हम इतनी सख्त टिप्पणी करेंगे कि भविष्य में भी कोई नौकरी नहीं देगा.’ हालांकि, राव के लिए पेश वरिष्ठ वकील देवाशीष भरुका के अनुरोध पर कोर्ट शुक्रवार, 9 मई को सुनवाई के लिए सहमत हो गया.
‘अमानवीय कृत्य के बाद मानवता की उम्मीद’
शुक्रवार को वरिष्ठ वकील ने जजों को बताया कि उनका मुवक्किल पदावनति के लिए तैयार है. इसके बाद कोर्ट ने आदेश पारित किया. जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ता ने खुद बेहद अमानवीय तरीके से लोगों को सड़क पर ला दिया था. जजों ने राव को अवमानना का दोषी करार देने वाले हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराया.
‘देश में संदेश जाना जरूरी’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट या कोई भी कोर्ट कोई आदेश देती है, तो सरकारी अधिकारी उसके पालन के लिए बाध्य हैं. कोर्ट के आदेश की अवमानना करने के बाद भी यह अधिकारी अड़ियल रवैया दिखाता रहा. अगर वह सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई में अपनी गलती मान लेता तो संभवतः हम उसके वेतन की 2-3 बढ़ोतरी रोकने की सजा तक अपने आदेश को सीमित रखते. जज ने कहा कि शायद सरकार से करीबी होने के चलते अधिकारी को लगता था कि उसे कुछ नहीं होगा. देश भर में यह संदेश जाना जरूरी है कि कोर्ट के आदेश की उपेक्षा नहीं की जा सकती.