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UP News: उत्तर प्रदेश में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर खुफिया एजेंसियों और पुलिस की चिंता एक बार फिर बढ़ गई है. अब हवाला के जरिए इन घुसपैठियों को आर्थिक मदद मिलने की आशंका जताई जा रही है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अलग-अलग जिलों में घुसपैठियों को बसाने और उनकी पहचान बदलने के लिए एक पूरा नेटवर्क सक्रिय है, जो इन गतिविधियों को अंजाम देने में जुटा है.

खास बात यह है कि इस नेटवर्क को फंडिंग हवाला के रास्ते की जा रही है. यानी अवैध तरीके से विदेश से पैसा भारत लाकर इन घुसपैठियों को बसाने, पहचान बदलवाने और रहने की व्यवस्था कराने में इस्तेमाल किया जा रहा है. यूपी के विभिन्न जिलों में रहने वाले संदिग्ध बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की अब गहराई से जांच शुरू कर दी गई है.

पैसा हवाला चैनलों के जरिए इन मॉड्यूल तक पहुंचाया!
यूपी पुलिस और स्थानीय प्रशासन मिलकर ऐसे लोगों की पहचान कर रहा है, जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत में रह रहे हैं. पहले भी उत्तर प्रदेश एटीएस (ATS) ने कई बार ऐसे मॉड्यूल का खुलासा किया है जो बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करवाते थे. इन घुसपैठियों को न सिर्फ रहने के लिए घर उपलब्ध कराया जाता था, बल्कि उनके लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड और यहां तक कि वोटर आईडी जैसे पहचान पत्र भी बनवाए जाते थे.

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इन गतिविधियों में लाखों रुपये का खर्च आता है और अब तक की जांच में सामने आया है कि यह पैसा हवाला चैनलों के जरिए इन मॉड्यूल तक पहुंचाया जाता है. सूत्रों का कहना है कि इन गतिविधियों के पीछे कुछ संगठनों की भी भूमिका हो सकती है, जिनकी जांच की जा रही है.

उत्तर प्रदेश के जिन जिलों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की ज्यादा मौजूदगी पाई गई है, उनमें मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर जैसे जिले शामिल हैं. कई मामलों में ये लोग स्थानीय लोगों के नाम से संपत्ति खरीदने या किराए पर घर लेने में भी सफल हो चुके हैं.

राज्य सरकार ने पहले ही निर्देश दे रखा है कि घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और जो लोग उन्हें शरण दे रहे हैं या सहयोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही हो.



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